Tag: केजरीवाल
मोदी की जीत कहकर केजरीवाल की हार को छोटी मत कीजिए!
अभिरंजन कुमार, पत्रकार :
मीडिया हर रोज पीएम मोदी का जादू टेस्ट करता है। एमसीडी चुनाव में बीजेपी की जीत को भी वह पीएम मोदी का ही जादू बता रहा है। लेकिन वह यह बताने में संकोच कर रहा है कि यह बीजेपी की जितनी बड़ी जीत नहीं है, उससे कहीं अधिक बड़ी केजरीवाल की हार है। शायद विज्ञापन बहादुर केजरीवाल के विज्ञापनों का मोह उसे यह सच बताने से रोक रहा है।
मोदी की जीत कहकर केजरीवाल की हार को छोटी मत कीजिए!
अभिरंजन कुमार, पत्रकार :
मीडिया हर रोज पीएम मोदी का जादू टेस्ट करता है। एमसीडी चुनाव में बीजेपी की जीत को भी वह पीएम मोदी का ही जादू बता रहा है। लेकिन वह यह बताने में संकोच कर रहा है कि यह बीजेपी की जितनी बड़ी जीत नहीं है, उससे कहीं अधिक बड़ी केजरीवाल की हार है। शायद विज्ञापन बहादुर केजरीवाल के विज्ञापनों का मोह उसे यह सच बताने से रोक रहा है।
‘हुआ-हुआ’ करने वालों के अच्छे दिन आ गये
अभिरंजन कुमार, पत्रकार :
रातों-रात पीएम बनने की महत्वाकांक्षा के चलते 49 दिन की तुगलकी सरकार से भाग कर जो शख्स भस्मासुर की तरह अपने ही सिर पर हाथ रख कर (राजनीतिक रूप से) मर चुका था, उसे बीजेपी के बौराए रणनीतिकारों ने अमृत छिड़क कर दोबारा जिला दिया, लेकिन अब भी उन्हें चेतना नहीं आयी है।
इतने गुस्से में क्यों हैं लोग?
संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय :
यह कितना निर्मम समय है कि लोग इतने गुस्से से भरे हुए हैं। दिल्ली में डॉ. पंकज नारंग की जिस तरह पीट-पीट कर हत्या कर दी गयी, वह बात बताती है कि हम कैसा समाज बना रहे हैं। साधारण से वाद-विवाद का ऐसा रूप धारण कर लेना चिंता में डालता है।
बिहार चुनावः अग्निपरीक्षा किसकी?
संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय :
बिहार का चुनाव वैसे तो एक प्रदेश का चुनाव है, किन्तु इसके परिणाम पूरे देश को प्रभावित करेंगे और विपक्षी एकता के महाप्रयोग को स्थापित या विस्थापित भी कर देगें। बिहार चुनाव की तिथियाँ आने के पहले ही जैसे हालात बिहार में बने हैं, उससे वह चर्चा के केंद्र में आ चुका है। प्रधान मन्त्री नरेन्द्र मोदी वहाँ तीन रैलियाँ कर चुके हैं।
जिधर देखो, सब क्लीन ही क्लीन है!
कमर वहीद नकवी, वरिष्ठ पत्रकार:
न से नेता! जिसे कुछ नहीं होता! इसलिए राममूर्ति वर्मा को भी कुछ नहीं होगा! वह जानते हैं कि नेताओं का अकसर कुछ नहीं बिगड़ता। बाल भी बाँका नहीं होता!
सौ दिन, एक साल, दो सरकारें!
कमर वहीद नकवी , वरिष्ठ पत्रकार
दिल्ली दिलचस्प संयोग देख रही है। एक सरकार के सौ दिन, दूसरी के एक साल! दिलचस्प यह कि दोनों ही सरकारें अलग-अलग राजनीतिक सुनामियाँ लेकर आयीं। बदलाव की सुनामी! जनता ने दो बिलकुल अनोखे प्रयोग किये, दो बिलकुल अलग-अलग दाँव खेले।
इस ‘ड्रमेटिक्स’ से आगे देखिए!
कमर वहीद नकवी , वरिष्ठ पत्रकार
देश में बहुत कुछ हो रहा है। मोदी सरकार के एक साल पूरे होने वाले हैं। बड़ी तीखी बहस हो रही है इस पर।
‘आप’ का क्या होगा जनाब-ए-आली?
कमर वहीद नकवी , वरिष्ठ पत्रकार :
‘आप’ बड़े ताप में है! पारा गरम है। पार्टी तप रही है। तलवारें फिर तनी हैं।
आप : गतांक से आगे का आख्यान
सुशांत झा, स्वतंत्र पत्रकार :
यह एक व्यंग्य है, कृपया तथ्य ढूंढेंगे तो आपकी हालत योगेंद्र यादव सी हो सकती है!
केजरी और यादव-भूषण झगड़े का जोड़ हमारे महान इतिहास-पुराण में जरूर कहीं न कहीं होगा।