Tag: केवलादेव
झूमते बाजरे के साथ चलता सफर
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
श्रीमहाबीर जी से करौली जाना चाहता हूँ। छोटे से बस स्टैंड पर बसें कम आती हैं। लोग बताते हैं कि आप जीप से खेड़ा तक चले जाओ वहाँ से बसें मिल जाएँगी। खेड़ी की जीप में बैठता हूँ। रेलवे स्टेशन श्री महाबीर जी के पास जाकर जीप थोड़ी देर के लिए रूक जाती है। मैं सुबह के नाश्ते में कचौड़ियाँ खाता हूँ। जीप खेड़ा गाँव में पहुँचा देती है। पर वहाँ पता चलता है चौक से गली होकर मुख्य सड़क पर जाइए वहाँ से साधन मिल सकेगा। पैदल चलकर हिंडौन करौली हाईवे पर पहुँचता हूँ। एक जीप वाले मिलते हैं वे करौली ले जाने को तैयार हैं। जीप में बैठ जाता हूँ। सड़क के दोनों तरफ खेतों में बाजरे की फसल झूम रही है।
पानी बचाएँ तभी बचेगी जिन्दगी और बचेंगे परिंदे

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
कुदरत ने इंसान के ढेर सारी खूबियाँ बक्शी हैं पर उसे उड़ने का इल्म नहीं दिया। जिन पक्षियों को उड़ने को इल्म दिया है उन्हें प्रकृति से समन्वय बनाने की ताकत भी दी है। बदलते मौसम की मार से खुद को बचाए रखने के लिए पक्षी साल में कई महीने स्थान परिवर्तन करते हैं। ये परिवर्तन न सिर्फ मौसम से अनुकूलन के लिए होता है बल्कि प्रजनन के लिए भी होता है।



विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार : 





