Tag: खुशियाँ
रिश्तों की फसल लहलहाएगी

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
कानपुर में मेरे एक ताऊजी रहते थे। बड़ा सा बंगला था और पूरा परिवार संयुक्त रूप से रहता था। दद्दा, ताऊजी, ताईजी, उनके बच्चे। इत्तेफाक से मेरी बड़ी मौसी भी उनके पड़ोस में ही रहती थीं। मौसी के साथ उनकी देवरानी भी थीं। तो इस तरह ताऊजी के बच्चे, मेरी मौसी के बच्चे और मौसी की देवरानी के बच्चे सब साथ पल रहे थे।
योग का विरोध मुसलमानों को गुमराह करने के लिए

अभिरंजन कुमार, पत्रकार :
हम ईद की खुशियों और मोहर्रम के मातम में शरीक होकर मुस्लिम नहीं बन गए। हमारे मुसलमान भाई हमारी होली और दिवाली में शरीक हो कर हिन्दू नहीं बन गये। लेकिन देश के सियासतदान हमें पढ़ा रहे हैं कि अगर मुसलमान योग कर लेंगे, तो उनका धर्म भ्रष्ट हो जाएगा और इस्लाम खतरे में पड़ जाएगा।
बच्चे के मन को पहचानें, धन को नहीं

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
माँ की सुनाई तमाम कहानियों में से ये वाली कहानी मुझे हमेशा ऐसे वक्त में याद आती है, जब इसकी सबसे अधिक जरूरत पड़ती है।
कुछ दिन पहले मुझसे कोई कह रहा था कि उनका बेटा ठीक से पढ़ाई नहीं करता। उसके नंबर हमेशा कम आते हैं और सबसे दुख की बात ये है कि पति-पत्नी दोनों बच्चे को पूरा समय नहीं दे पाते।
‘पात्र’ को बड़ा करें

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
मुझे एकदम ठीक से याद है कि पड़ोस वाली बेबी दीदी शादी के बाद घर लौट आयी थीं।
रेत पर दुख और पत्थर पर खुशियाँ उकेरें

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
जा पाता हूँ। पर कई जगह जाना ही पड़ता है।
खुशियाँ बाँटते हैं कपिल

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
कल कपिल से मिला। कॉमेडी विद कपिल शर्मा वाले कपिल से।
आधी छोड़ पूरी धावे, न आधी पावे न पूरी पावे

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
मेरे लिए नानी के घर जाने का मतलब सिर्फ परियों की कहानियाँ सुनना नहीं था।