Tag: खुशी
रिश्तों में निवेश कीजिए

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
चार साल पहले भी मेरा नाम संजय सिन्हा था। लेकिन तब मैं संजय सिन्हा की जिंदगी जीता था।
त्याग करती हैं महिलाएँ

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
भोपाल के हमीदिया कॉलेज में इतिहास वाले प्रोफेसर इंग्लैंड का इतिहास पढ़ाते हुए जब कभी महारानी एलिजाबेथ प्रथम के विषय में हमें बताते तो, उनकी दिलचस्पी ये बात बार-बार बताने में रहती कि एलिजाबेथ ने दुनिया के तमाम राजाओं को इस बात का झाँसा दे रखा था कि वो उन्हीं से विवाह करेंगी, पर महारानी ने कभी किसी से विवाह नहीं किया। यानी वो आजीवन अविवाहित रहीं।
जहाँ उम्मीद, वहीं जिन्दगी

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
यह तो आप जानते ही हैं कि सबसे ज्यादा खुशी और सबसे ज्यादा दुख, दोनों अपने ही देते हैं।
बेटियों से उजाला होता है

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
अपने एक परिचित का हालचाल पूछने के लिए मुझे कल दिल्ली के मैक्स अस्पताल में जाना पड़ा। वहाँ ऑपरेशन थिएटर के पास मैं अपने परिचित के बाहर आने का इंतजार कर रहा था। एक-एक कर कई मरीज स्ट्रेचर पर बाहर लाये जा रहे थे। मैं सभी मरीजों और उनके परिजनों को गौर से देखता। जैसे ही कोई मरीजा बाहर आता, उनके परिजनों के चेहरे खिल उठते। डॉक्टर बाहर आकर पूछता कि क्या आप फलाँ के साथ हैं?
पैसा और शांति

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
मेरी एक परिचित इन दिनों बहुत परेशान है और मुझसे मदद चाहती हैं। मैं दिल से उनकी मदद करना चाहता हूँ, लेकिन कुछ कर नहीं पा रहा।
अपराध बोध

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
मेरे बेटे को रास्ते में पाँच सौ रुपये का एक नोट गिरा हुआ मिला। उसने उस नोट को उठा कर जेब में रख लिया। लेकिन कुछ दूर जाकर वो वापस लौटा और उसने उस नोट को जेब से निकाल कर वहीं फेंक दिया।
ये वक्त गुजर जाएगा

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
रोज सुबह जगना और फिर लिखना मेरे नियम में शुमार हो चुका है।