Tag: गीता
जो हुआ अच्छा हुआ, जो होगा अच्छा होगा
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
सच में मेरा मन बदल गया आज पोस्ट लिखते-लिखते। मैंने सोचा था कि आज इंग्लैंड की सिमरन की कहानी आपको सुनाऊंगा। सुबह नींद खुलते ही मेरे मन में कहानी का ताना-बाना बुन जाता है। मैंने बहुत बार कोशिश की है कि कभी एक रात पहले ही लिख कर सो जाऊं, ताकि सुबह मुझे जल्दी न जगना पड़े, लेकिन मेरे चाहने से ऐसा नहीं होता। मेरी उंगलियाँ रुक जाती हैं, कहानी आगे बढ़ती ही नहीं।
हम नुमाइंदे हैं, इस संसार में
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
मेरा मकान बदलना ही कुछ दिनों के लिए टल गया है। इसलिए फिलहाल चंद्रवती की कहानी का टल जाना भी लाजिमी है।
वजह?
रावण तुम्हें मर ही जाना चाहिए
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
ये कहानी है गीता की। ये कहानी है परी की। ये कहानी है हैवानियत की। ये कहानी है इंसानियत की।
पैगाम
संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
पिछली बार दिल्ली में अंतरराष्ट्रीय पुस्तक मेले से मैं कुरआन मजीद ले आया था। मेरा बहुत दिनों से मन था कि मैं कुरआन पढ़ूँ। स्कूल के दिनों में मैं चक्रवर्ती का अंक गणित और कॉलेज के दिनों में एन सुब्रह्मण्यम की लिखी फिजिक्स की किताब उपन्यास की तरह पढ़ जाता था। इतिहास, भूगोल और अर्थशास्त्र तो हफ्ते भर से ज्यादा की खुराक कभी नहीं रहे। ऐसे में क़ुरआन मजीद मेरे पास कैसे पड़ी रह गयी और मैंने क्यों इसे तभी नहीं पढ़ लिया ये मेरे सोचने का विषय है।
मृत्यु अटल है, जीवन सकल है
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
आज आपको एक न में ले चलता हूँ।
अपने जीवन में मुझे एक बार ओशो से मिलने का मौका मिला।