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विधानसभा चुनाव नतीजे कांग्रेस और लेफ्ट को करारा तमाचा
अभिरंजन कुमार, पत्रकार :
पाँच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों के नतीजों से एक बात बिल्कुल साफ है कि देश की जनता अब कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों से पक चुकी है। उन्हें समझ में आ गया है कि ये दोनों एक ही थैले के चट्टे-बट्टे हैं और इनके बीच पति-पत्नी जैसा रिश्ता है। इनके दिन के झगड़े का कोई मतलब नहीं है, क्योंकि रात में इन्हें साथ ही रहना है। इसलिए इन दोनों को जनता मजबूरी में अब सिर्फ वहीं चुन रही है, जहाँ उनके पास कोई तीसरा विकल्प नहीं है।
मछली जाल में फँसी
संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
कई कहानियाँ मुझ तक चल कर भी आती हैं। आज भी एक कहानी मेरे पास चल कर आयी है। मुझे कहानी इतनी पसंद आयी कि मैं पिता-पुत्र की जो कहानी लिखने बैठा था, उसे फिलहाल रोक कर शानदार शेरवानी और मछली के जाल वाली कहानी सुनाने को तड़प उठा हूँ।
अपनी बचाऊँ कि ये सोचूँ कि सरकार क्या कर रही है
संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
आज अपनी बात कहने के लिए मैं एक चुटकुले का सहारा ले रहा हूँ, लेकिन मैं जो लिखने जा रहा हूँ वो चुटकुला नहीं। वो बेहद संजीदा विषय है, इसलिए मेरा आपसे अनुरोध है कि आपमें से अगर किसी को चुटकुले पर आपत्ति हो, तो मुझे माफ कर दें।
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बिहार में ‘हवा’ उसकी नहीं, जिसकी जीत होने वाली है!
अभिरंजन कुमार :
बिहार चुनाव एक पहेली की तरह बन गया है। अगड़े, पिछड़े, दलित, महादलित-कई जातियों/समूहों के लोगों से मेरी बात हुई। उनमें से ज्यादातर ने कहा कि उन्होंने बदलाव के लिए वोट दिया, लेकिन साथ ही वे इस आशंका से मायूस भी थे कि बदलाव की संभावना काफी कम है।
बिहार चुनाव में ध्रुवीकरण के लिए पुरस्कार लौटा रहे हैं लेखक
अभिरंजन कुमार :
किसी दिन पुरस्कार लौटाने के लिए यह जरूरी है कि आज पुरस्कार बटोर लो। पुरस्कार मिले तो भी सुर्खियाँ मिलती हैं। मिला हुआ पुरस्कार लौटा दो तो और अधिक सुर्खियाँ मिलती हैं। समूह में पुरस्कार लौटाना चालू कर दो तो क्रांति आ जाती है। ऐसी महान क्रांति देखकर मन कचोटने लगा है। काश...
बिहार भाग्य-विधाता?
श्रीकांत प्रत्यूष, संपादक, प्रत्यूष नवबिहार
जनता परिवार का विलय का अधर में पड़ जाना और आरजेडी-जेडीयू के बीच गठबन्धन की संभावना का कमजोर होना, केवल लालू, नीतीश के लिए ही नहीं बल्कि बीजेपी के लिए और खासतौर पर बिहार की जनता के लिए भी एक बुरी खबर है।
टूटे भरोसे को जोड़ने और आम नागरिकों के आत्मविश्वास की है मोदी सरकार
संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय :
नरेन्द्र मोदी सरकार के एक साल पूरे होने पर मीडिया में विमर्श, संवाद और विवाद निरन्तर है।
चुनावी परिदृश्य में छाये हैं सर्वेक्षण, लापता है जनता
संदीप त्रिपाठी :
दिल्ली विधानसभा चुनाव प्रचार एक बड़े मंच पर चल रहा राजनीतिक प्रहसन बन चुका है। इसमें मुख्य कलाकार राजनीतिक दलों के नेता और निजी न्यूज चैनल व मीडिया बने हुये हैं। अगर कोई परिदृश्य से गायब है तो वह जनता है।