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ऊपरवाले की कस्टमर केयर
आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :
शनि के मंदिर, हाजी अली दरगाह पर बखेड़े खड़े हो रहे हैं, पर ऊपर से कोई रिस्पांस नहीं आ रहा है।
कस्टमर केयर के इस जमाने में जहाँ से कस्टमर केयर बिलकुल ही नहीं मिलती है, वह है ऊपरवाले का इलाका।
आ अब लौट चलें
संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
सबको एक दिन घर लौटना होता है। भाग्यशाली होते हैं वो लोग, जिन्हें घर के बारे में पता होता है। मैं तो बहुत से लोगों से मिला हूँ, उन्हें पता ही नहीं कि उनका घर कहाँ है। वो हर रात सोते हैं, फिर सुबह होते ही भटकने लगते हैं, अपने घर की तलाश में। वो जिन्दगी जीने की तैयारी में अपने हिस्से की ढेर सारी जिन्दगी जाया कर चुके हैं।
मन की बात
दीपक शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार :
मन की बात करना पारदर्शिता नहीं है। सामने वाले का जवाब देना पारदर्शिता है।
प्यार को प्यार ही रहने दो
संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
“माँ, उठो। माँ, सुनो मैं क्या पूछ रहा हूँ। दो दिन पहले मैंने पोस्ट में लिख दिया था कि पांचाल के नृपति द्रुपद ने कृष्ण को अपनी बेटी द्रौपदी से विवाह के लिए आमंत्रित किया था, तो कुछ लोगों ने नाराजगी जताई और कहा कि मैं धर्म और पौराणिक कहानियों के विषय में कुछ नहीं जानता, केवल काल्पनिक कहानी लिख रहा हूँ।