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बीमारी को पहचान लेना ही आधा इलाज है
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक
उफक एक लड़की का नाम है। वो पढ़ना चाहती थी। तरक्की करना चाहती थी। पर उसकी शादी हो गयी। शादी के बाद पति भी उसे पढ़ाना चाहता था, पर सास ऐसा नहीं चाहती थी। सास ने षडयंत्र करना शुरू किया। बेटे के कान भरने लगी कि तुम्हारी बीवी पागल है। उसे इलाज की जरूरत है। घर में ऐसी परिस्थितियाँ पैदा करने लगी, जिससे धीरे-धीरे उफक और उसके शौहर के बीच कटुता पैदा होने लगी। और आखिर में उसके शौहर को लगने लगा कि उफक सचमुच पागल है। उसने उफक को छोड़ दिया, दूसरी लड़की से शादी कर ली।
जोधा-अकबर पेरेंट्स – टीचर मीटिंग में
आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :
अभी लौटा हूँ एक पीटीएम यानी पेरेंट्स टीचर मीटिंग से।
जरा कल्पना कीजिये, शाहजादा सलीम की पीटीएम यानी पेरेंट्स टीचर्स मीटिंग चल रही है। क्राफ्ट मैडम शिकायत कर रही है- जरा भी इंटरेस्ट नहीं दिखाता। क्राफ्ट क्लास में नहीं आता। कला का जरा सा भी एलीमेंट नहीं इसमें।
परिवार और रिश्ते
संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
मेरी साली के बेटे से स्कूल टीचर ने उसके परिवार की तस्वीर बनाने के लिए कहा।