Thursday, November 21, 2024
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हमारी खुशी

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक : 

गाँव का एक आदमी मुंबई गया था और वहाँ वो ऊंची-ऊंची इमारतों को देख कर हैरान था। 

सदमा या आजादी

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :

आपको बताया था न कि पिछले दिनों जब मैं कान्हा में टाइगर देखने गया था, उस रात जंगल के गेस्ट हाउस की बत्ती चली गयी थी। अब टाइगर तो वहाँ मिले नहीं, हाँ, पड़ोस के कमरे में एक डॉक्टर मिल गये। 

प्रतिष्ठा पर चोट पहुँचाने से सत्य को जानना जरूरी

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :

अगर मैंने ये कहानी अपने कानों से नहीं सुनी होती तो मुझे कभी अपने पत्रकार होने की शर्मिंदगी के उस अहसास से नहीं गुजरना पड़ता, जिससे मैं दो दिन पहले गुजरा हूँ। कहानी मुझे एक डॉक्टर ने सुनाई और पहली बार मुझे इस कहानी को सुनते हुए आत्मग्लानि सी हो रही थी। मुझे लग रहा था कि कहीं चुल्लू भर पानी मिल जाए तो फिर कभी किसी को अपना मुँह भी न दिखाऊँ। 

चेत जाइये नहीं तो कुछ भी नहीं होगा

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :

आज चौथा दिन है जब बुखार ने मेरा पीछा नहीं छोड़ा है। बुखार क्यों हुआ, नहीं पता। मैंने खाने-पीने में ऐसी कोई बदपरहेजी नहीं की। पर बुखार हो गया। एक दिन का बुखार होता है तो पत्नी की सेवा से ठीक हो जाता हूँ। दो दिन का बुखार होता है तो बिस्तर पर लेटे-लेटे ऊटपटांग सपने देखने लगता हूँ। तीसरे दिन तो डॉक्टर को दिखला ही लेना चाहिए। क्रोसिन और कालपोल से तीसरे दिन काम नहीं चलाना चाहिए। तो कल मैं डॉक्टर को दिखला आया।

जिन्दगी जीने के 10 नुस्खे

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :

बचपन में जब मैं प्रेमचंद के किसी उपन्यास को पढ़ता तो मेरे मन में यही ख्याल दौड़ता कि मैं बीए तक पढ़ाई करूंगा। 

उनकी किताबों में लिखा रहता था - प्रेमचंद, बीए।

तरक्की की राह

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :

पता नहीं किसने, लेकिन संजय सिन्हा फेसबुक परिवार के ग्रुप में किसी ने इस कहानी को साझा किया था। कहानी किसने लिखी है, पता नहीं। पर मुझे बहुत जरूरत थी इस कहानी की।

मैंने अपने एक परिजन की बीमारी के बीच लगातार अस्पतालों के चक्कर काटते हुए तीन दिनों से प्राइवेट अस्पताल और डॉक्टरों के भ्रष्टाचार की कहानी आपको सुना रहा हूँ।

चोर मचाये शोर

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक : 

विजय और रवि दोनों सगे भाई थे। एक दिन विजय और रवि के पिताजी घर छोड़ कर कहीं चले गये। वो मजदूरों के नेता थे। इस तरह अचानक उनके घर छोड़ कर चले जाने से नाराज कुछ लोगों ने विजय को पकड़ कर उसकी कलाई पर लिख दिया, "मेरा बाप चोर है।" विजय का बाप चोर नहीं था। लेकिन बड़ा होकर विजय चोर बन गया और रवि पुलिस अफसर।

बाड़ ही अब खेत खाने लगी

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक : 

करीब पंद्रह साल पहले मेरी एक परिचित के पेट में बहुत तेज दर्द उठा। वो भाग कर दिल्ली के एक बहुत बड़े अस्पताल में पहुँच गयीं। वहाँ डॉक्टरों ने पूरी जाँच की और बताया कि उन्हें एपेंडिसाइटिस की समस्या है और फौरन ऑपरेशन करना पड़ेगा। एपेंडिसाइटिस की समस्या बहुत आम समस्या है। अपेंडिक्स आंत का एक टुकड़ा है। इसे डॉक्टरी भाषा में एपेंडिसाइटिस कहते हैं।

बेटियों से उजाला होता है

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :

अपने एक परिचित का हालचाल पूछने के लिए मुझे कल दिल्ली के मैक्स अस्पताल में जाना पड़ा। वहाँ ऑपरेशन थिएटर के पास मैं अपने परिचित के बाहर आने का इंतजार कर रहा था। एक-एक कर कई मरीज स्ट्रेचर पर बाहर लाये जा रहे थे। मैं सभी मरीजों और उनके परिजनों को गौर से देखता। जैसे ही कोई मरीजा बाहर आता, उनके परिजनों के चेहरे खिल उठते। डॉक्टर बाहर आकर पूछता कि क्या आप फलाँ के साथ हैं?

सोच में बदलाव

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक : 

कल मैंने लिखा था कि मुझसे मेरे एक परिचित ने पूछा था कि फेसबुक पर रोज लिख कर मैं अपना समय क्यों जाया करता हूँ, तो मैंने बता दिया था कि यही वो मेला है, जहाँ मुझे अपने सारे खोया हुए रिश्ते मिले हैं। 

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