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कमाई में सफेदी की दरकार
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
बहुत तेज बर्फबारी और कड़ाके की ठंड के बीच मैं अमेरिका के बफैलो एयरपोर्ट पर खड़ा था। मुझे वहाँ से फ्लोरिडा जाना था। आमतौर पर हम कहीं भी आते-जाते हैं तो पहले से विमान का टिकट खरीद चुके होते हैं, होटल और टैक्सी वगैरह की बुकिंग करा चुके होते हैं।
आइए याद करें तिरंगे झंडे के डिजाइनर को – पिंगाली वेंकैया
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
क्या आपको पता है हमारे देश के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे झंडे को डिजाइन किसने किया था। वह थे बहुआयामी प्रतिभा वाले आंध्र के स्वतंत्रता सेनानी श्री पिंगाली वेंकैया। विजयवाड़ा के एमजी रोड यानी महात्मा गाँधी रोड पर स्थित है विक्टोरिया जुबली म्युजियम। एक छोटा सा संग्रहालय है जिसके साथ स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास की कई स्मृतियाँ जुडी हैं। इस संग्रहालय का प्रबंधन आंध्र प्रदेश राज्य का पुरातत्व विभाग करता है।
शक्ति को सृजन में लगाएँ मोदी
संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय : :
हाथ में आए ऐतिहासिक अवसर का करें राष्ट्रोत्थान के लिए इस्तेमाल
पिछले कुछ दिनों से सार्वजनिक जीवन में जैसी कड़वाहटें, चीख-चिल्लाहटें, शोर-शराबा और आरोप-प्रत्यारोप अपनी जगह बना रहे हैं, उससे हम देश की ऊर्जा को नष्ट होता हुआ ही देख रहे हैं। भाषा की अभद्रता ने जिस तरह मुख्य धारा की राजनीति में अपनी जगह बनायी है, वह चौंकाने वाली है। सवाल यह उठता है कि नरेंद्र मोदी के सत्तासीन होने से दुखीजन अगर आर्तनाद और विलाप कर रहे हैं तो उनकी रूदाली टीम में मोदी समर्थक और भाजपा के संगठन क्यों शामिल हो रहे हैं?
JNU में वामपंथियों की देश विरोधी करतूत
सुशांत झा, पत्रकार :
हाफिज़ सईद के JNU के कॉमरेडों को समर्थन देने की खबर IBN की साइट ने लगायी थी, बाद में जनसत्ता ने भी लगा दी। खबर का आधार संदेहास्पद था, IBN ने हटा दी। पहले Saurabh Dwivedi ने मुझे इनबॉक्स में इशारा किया, तब तक मैं उसे शेयर कर चुका था।
तलवार के साथ बुद्धि पर भी भरोसा हो
संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
इन दिनों व्हाट्सएप पर एक संदेश खूब चक्कर लगा रहा है-
“उन्होंने कंधार में प्लेन हाईजैक किया, हमने ‘जमीन’ मूवी में उसे छुड़ा लिया।
अब ताप में हाथ मत तापिए!
कमर वहीद नकवी , वरिष्ठ पत्रकार
चिन्ता की बात है। देश तप रहा है! चारों तरफ ताप बढ़ रहा है! क्षोभ, विक्षोभ, रोष, आवेश से अखबार रंगे पड़े हैं, टीवी चिंघाड़ रहे हैं, सोशल मीडिया पर जो कुछ 'अनसोशल' होना सम्भव था, सब हो रहा है! लोग सरकार को देख रहे हैं! सरकार किसी और को देख रही है! कुत्ते संवाद के नये नायक हैं!
हुक्मरान चला रहे अपनी दुकान
संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
छोड़िए उस आज उस राजा की कहानी को, जिसने मुनादी पिटवाई थी कि मेरा सब ले जाओ। आज कहानी सुनाता हूँ, उन चार दोस्तों की जिन्होंने मिल कर बिजनेस करने की ठानी थी।
कानूनी कुमार
प्रेमचंद :
मि. कानूनी कुमार, एम.एल.ए. अपने आँफिस में समाचारपत्रों, पत्रिकाओं और रिपोर्टों का एक ढेर लिए बैठे हैं। देश की चिन्ताओं से उनकी देह स्थूल हो गयी है; सदैव देशोद्धार की फिक्र में पड़े रहते हैं। सामने पार्क है। उसमें कई लड़के खेल रहे हैं। कुछ परदेवाली स्त्रियाँ भी हैं, फेंसिंग के सामने बहुत-से भिखमंगे बैठे हैं, एक चायवाला एक वृक्ष के नीचे चाय बेच रहा है। कानूनी कुमार (आप-ही-आप) देश की दशा कितनी खराब होती चली जाती है। गवर्नमेंट कुछ नहीं करती। बस दावतें खाना और मौज उड़ाना उसका काम है। (पार्क की ओर देखकर)
कब जीना शुरू करेंगे
संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
मेरे एक दोस्त के पिताजी ने मुझे बताया था कि उनके किसी मित्र ने रिटायरमेंट के बाद बिहार में पेंशन पाने के लिए न सिर्फ अपने कई जोड़े जूते घिस दिये, बल्कि उन्हें अपना हुलिया तक बदलवाना पड़ा। पूरी कहानी लिखूँगा लेकिन पहले आपको अपने साथ आज इटली की सैर कराऊँगा।
ध्रुवीकरण करने वाले नेताओं और एजेंट बुद्धिजीवियों से सावधान!
अभिरंजन कुमार :
मैं इस नतीजे पर पहुँचा हूँ कि इस देश के आम, गरीब, अनपढ़, कम पढ़े-लिखे, ग्रामीण लोग धर्मनिरपेक्ष हैं, लेकिन प्रायः सभी राजनीतिक दल, नेता, बुद्धिजीवी, पढ़े-लिखे और शहरी लोग सांप्रदायिक हैं।