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अंबाला रेलवे स्टेशन के बाहर नैरोगेज का स्टीम लोकमोटिव
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
दिल्ली से पंजाब और जम्मू की तरफ जाने के रास्ते पर बड़ा रेलवे स्टेशन आता है अंबाला। अंबाला शहर में दो रेलवे स्टेशन हैं। अंबाला कैंट और अंबाला सिटी। पर अंबाला कैंट बडा रेलवे स्टेशन है और सिटी छोटा। अंबाला कैंट के सामने ही अंबाला क मुख्य बस स्टैंड भी है। इसलिए आपको बस से ट्रेन या फिर ट्रेन से बस लेने के लिए ज्यादा नहीं चलना पड़ता।
पर्यावरण बचाने का संदेश देती है बिलिमोरा वघई लाइन
विद्युत प्रकाश मौर्य :
अंबिका नदी के तट पर बसे नवसारी जिले के शहर बिलिमोरा से दिन भर में दो ही नैरोगेज रेलगाड़ियाँ वघई के लिए खुलती हैं, जो आपको गुजरात के एकमात्र हिल स्टेशन सापूतारा की ओर ले जाती हैं।
एक और सुस्त ट्रेन – कौसंबा-उमरपाडा नैरोगेज
विद्युत प्रकाश मौर्य :
गुजरात के सूरत जिले में एक और सुस्त नैरोगेज ट्रेन सौ साले से अधिक समय से चल रही है। ये गुजरात में तीसरा नैरोगेज नेटवर्क जो संचालन में है वह है कोसंबा उमरपाडा के बीच। कोसांबा सूरत जिले का एक छोटा व्यापारिक शहर है। वहीं उमरपाडा सूरत जिले का ही एक तालुका है।
बैल खींचते थे रेलगाड़ी
विद्युत प्रकाश मौर्य :
नैरोगेज की बात करें तो इसका मतलब 2 फीट 6 ईंच ( 762 एमएम) पटरियों के बीच की चौड़ाई वाली रेलवे लाइन। हालाँकि कुछ नैरोगेज लाइनों की चौड़ाई दो फीट भी है। भारत में पहली नैरोगेज लाइन गुजरात में 1862 में दभोई से मियागाम के बीच बिछाई गई। ये 762 एमएम की नैरोगेज लाइन गायकवाड बड़ौदा स्टेट रेलवे ने बिछाई।