Tag: पटना
लजीज खोवा का रामदाना और खाजा
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार:
अगर आप बिहार गये हैं और सिलाव का प्रसिद्ध खाजा खाने की इच्छा है और सिलाव नहीं जा सकते तो कोई बात नहीं। कभी पटना के म्यूजिम रोड पर पहुंचिए। यहाँ पर संग्रहालय के सामने खाजा की कई दुकानें एक साथ दिखाई देंगी।
सन 42 की क्रांति और पटना के वे सात शहीद
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार:
स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में युवाओं के जोश को जब जब याद किया जाएगा तब तब पटना के उन सात शहीदों के बिना चर्चा अधूरी रहेगी।
प्यार में पड़ी लड़की हजार मर्दों से अधिक शक्तिशाली
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
मैंने जितनी बार भी फिल्म देवदास देखी है, मेरे मन में ये सवाल उठा है कि पुरुष प्रेम में कायर क्यों हो जाता है?
हमार बैलगाड़ी सबसे अगाड़ी… जोगिंदर सिंह अलबेला की याद
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
हमार बैलगाड़ी सबसे अगाड़ी...सड़किया पे गाड़ी हमार बैलगाड़ी
चलल जाला चलल जाला चलल जाला.. सड़किया पे गाड़ी हमार बैलगाड़ी
हट हट हट हट....
आकाशवाणी पटना से फरमाईशी लोकगीतों की सूची में अस्सी के दशक में यह बड़ा ही लोकप्रिय माँग वाला गीत होता था। जब रेडियो पर ये गाना बजता था तो ऐसी जीवंत अनुभूति होती थी मानो हमारी आँखों के सामने झूमती हुई बैलगाड़ी जा रही हो। गीत के पूरे बोल अब मुझे याद नहीं हैं पर इसमें एक झूमती हुई बैलगाड़ी के सड़क पर सफर का मस्ती भरा चित्रण था। तब हम इसके गायक का नाम पर ध्यान नहीं देते थे पर गीत को बडे मनोयोग से सुना करते थे।
चामुंडा अनाज रखने के लिए बना था पटना का गोलघर
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
बिहार की राजधानी पटना की जिन इमारतों से पहचान है उनमे गोलघर भी एक है। गाँधी मैदान के पास स्थित गोलघर 33 मीटर यानी 96 फीट ऊँचा है। चढ़ने और उतरने के लिए अलग-अलग सीढ़ियाँ हैं। कुल 146 सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं। आपको ज्यादा सीढ़ियाँ चढ़ने का इल्म नहीं है तो कुछ मुश्किल आ सकती है। क्योंकि रास्ते में कहीं ठहराव नहीं है।
चंद्रवती मत बनें
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
पटना में था तो घर में काम करने वाली महिला को हम 'दाई' बुलाते थे। भोपाल गया तो वहाँ घर पर काम करने वाली को 'बाई' बुलाने लगे। वैसे तो दिल्ली मुझ जैसे जहीन इंसान के लिए रत्ती भर मुफीद जगह नहीं है, जहाँ बात-बात पर माँ-बहन को घसीट लिया जाता है, पर यहाँ घर में काम करने वाली महिला को 'माई' बुलाने का रिवाज है और यह रिवाज मुझे बहुत अच्छा लगता है।
एक मराठी शादी में….बारी बरसी खटन गया सी…
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
फरवरी 16 साल 2016 की सुबह हमारा पुणे जाना हुआ था शादी में शामिल होने के लिए। शादी किसकी। हमारी साली साहिबा की। वे रेडियोलॉजिस्ट हैं। पटना की हैं पर मुंबई में रहते हुए उन्होंने अपने लिए मराठी दूल्हा ढूँढा। तो शादी की सारी रश्में मराठी रीति रिवाज से होनी थी।
दिल में दिमाग वालों से डर लगता है
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
बहुत साल पहले हम पटना से भोपाल एक शादी में शामिल होने गए थे। मैं, मेरा छोटा भाई, मेरी बहन, मेरे चचेरे, ममेरे, फुफेरे और ढेरों भाई-बहन हम वहाँ उस शादी में मिले थे। हम बच्चों का दिल आपस में ऐसा लग गया था कि हमें लगता था कि ये शादी कभी खत्म ही न हो।
बच्चा बाबू का जहाज और एलसीटी सेवा
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
रेलवे स्टीमर के अलावा पटना और पहलेजा घाट के बीच लोगों के लिए दो और स्टीमर सेवा चलती थी। बाँस घाट से बच्चा बाबू की स्टीमर सेवा भी काफी लोकप्रिय थी। बच्चा बाबू सोनपुर के रईस थे, जिनकी निजी कंपनी बाँस घाट से पहलेजा घाट के बीच स्टीमर सेवा का संचालन करती थी।
जाने-अनजाने किसी का अपमान न करें
संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
मेरे पास एक खबर आयी थी कि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्रियों - लालू यादव और उनकी पत्नी राबड़ी देवी के सुपुत्र तेज प्रताप जी पटना की सड़कों पर घोड़े पर चल रहे हैं। मैंने पूरा वीडियो देखा। उसमें तेज प्रताप जी ने, जो अब खुद बिहार में मंत्री हैं, ने कहा कि लोग अगर घोड़े पर चलना शुरू कर दें, तो ट्रैफिक जाम और प्रदूषण की समस्या से मुक्ति मिल जाएगी। लोगों के लिए कहीं आना-जाना भी आसान होगा।