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प्रेम पाने का एक मात्र उपाय है कि प्रेम करो

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
इस कहानी को लिखने से पहले मैंने कम से कम हफ्ता भर इंतजार किया है। चाहता तो एक हफ्ता पहले ही पूरी कहानी आपको सुना सकता था। महीना भर पहले मैं अपनी उस परिचित के घर गया था, जिनकी बेटी की शादी कुछ ही दिन पहले हुई है। शादी खूब धूम-धाम से हुई थी, लेकिन शादी के बाद ससुराल में अनबन शुरू हो गयी। जरा-जरा सी बात पर झगड़े होने लगे। मेरे पास लड़की की माँ का फोन आया था कि सोनू की उसके ससुराल में नहीं बन रही।
हम अंदर की कमजोरियाँ हारते हैं

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
मेरी एक परिचित ने मुझे बताया कि उनकी बेटी, जिसकी शादी उन्होंने कुछ ही दिन पहले एक अमीर घर में की थी, वो किसी और से प्यार करने लगी है। जाहिर है शादी के बाद बेटी का किसी और से प्यार करना मेरी परिचित को नागवार गुजर रहा है। उन्होंने अपनी तकलीफ मुझसे साझा की। उनकी तकलीफ अब मेरी तकलीफ बन गयी है। मैं सारी रात सोचता रहा कि मैं इस विषय पर लिखूँ या नहीं।
गाली लंगड़ी होती

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
कायदे से ये कहानी मुझे कल ही लिखनी चाहिए थी। घटना कल की ही है।
सोच में बदलाव

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
कल मैंने लिखा था कि मुझसे मेरे एक परिचित ने पूछा था कि फेसबुक पर रोज लिख कर मैं अपना समय क्यों जाया करता हूँ, तो मैंने बता दिया था कि यही वो मेला है, जहाँ मुझे अपने सारे खोया हुए रिश्ते मिले हैं।
जुबाँ से दिये जख्म जिन्दगी भर नहीं भरते

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
मेरी एक परिचित किसी को कुछ भी कह सकती हैं। वो स्पष्टवादी हैं। उन्हें किसी को कुछ भी कह देने में कोई गुरेज नहीं है।
वो कोई भी बात कहने के बाद कहती हैं, “माफ कीजिएगा, मैं साफ बोलती हूँ।