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सिमरन को जीने का हक है पर जान लेकर नहीं
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
सिमरन अपने प्रेमी के साथ जाने के लिए तड़प रही थी। पर वो अपने पिता को धोखा देकर ऐसा नहीं कर पा रही थी। वो प्रेमी के साथ जीना तो चाहती थी, पर छल से नहीं, इज्जत से। उसने अपने बाऊजी से कातर हो कर कहा था कि वो अपने राज के बिना नहीं जी सकती। बाउजी के लिए बहुत आसान नहीं था खुद को मनाना, पर बेटी की आँखों में प्यार देख कर उन्होंने आखिर में कह ही दिया था, जा बेटी, जी ले अपनी जिन्दगी।
योग साधना का केंद्र – श्री अरविंदो आश्रम पुडुचेरी
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
पुडुचेरी की पहचान अरविंदो आश्रम से भी है। यह आध्यात्मिक चेतना का बड़ा केंद्र है। श्री अरविंदो आश्रम 24 नवंबर 1926 को अरविंदो द्वारा स्थापित किया गया था। इस दिन को सिद्धि दिवस के तौर पर मनाया जाता है।
कामन सिविल कोड से क्यों डरें?
कमर वहीद नकवी , वरिष्ठ पत्रकार
हिन्दुओं ने तो ज्यादातर सामाजिक सुधारों को स्वीकारना शुरू कर दिया, लेकिन मुसलमानों ने पर्सनल लॉ को 'धर्म की रक्षा' का सवाल बना कर अपनी अलग पहचान और अस्तित्व का मुद्दा बना लिया और वह उसमें किसी भी बदलाव का विरोध करते रहे। 1985 का शाहबानो मामला इसकी चरम परिणति थी, जिसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गाँधी ने अगर कट्टरपंथी मुसलमानों के सामने घुटने न टेके होते तो आज शायद देश में आम मुसलमानों की स्थिति पहले से कहीं बेहतर होती!