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मुस्लिम मानसः बात निकली है तो दूर तलक जायेगी

संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय :
संवाद के अवसर हों, तो बातें निकलती हैं और दूर तलक जाती हैं। मुस्लिम समाज की बात हो तो हम काफी संकोच और पूर्वाग्रहों से घिर ही जाते हैं।
तोड़ो नहीं, जोड़ो

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
पिछले साल मैं अमृतसर में वाघा बॉर्डर गया था। वाघा बॉर्डर पर हर शाम एक खेल होता है। देशभक्ति का खेल।
वहाँ अटारी सीमा पर शाम के पाँच बजे भारत और पाकिस्तान दोनों मुल्कों के गेट खुलते हैं और दोनों देशों के सैनिक अपने सैन्यबल का प्रदर्शन करते हैं।
पेशावर की परतों के भीतर

क़मर वहीद नक़वी :
पेशावर के गम, ग़ुस्से और मातम में सारी दुनिया शरीक हुयी, कुछ को छोड़ कर! तालिबान के इस क्रूरतम चेहरे पर सारी दुनिया ने लानत-मलामत की, लेकिन कुछ बिल्कुल भी नहीं बोले, ये कुछ कौन हैं? जो चुप रहे, जिन्होंने रस्मी मातमपुर्सी के लिए भी कुछ बोलने की जहमत गवारा नहीं की।
स्कूल गये ‘अच्छे बच्चे’ फिर लौटकर नहीं आये!

मनीषा पांडे, फीचर संपादक, इंडिया टुडे :
सब बच्चे-बच्चे थे। बिलकुल बच्चों जैसे थे। सबके छोटे-छोटे झगड़े थे, छोटी-छोटी लड़ाइयां। किसी की रोज की तरह मां से झक-झक हुयी होगी। "उठो, स्कूल का टाइम हो गया" और उसे गर्म रजाई से बाहर निकलना दुनिया की सबसे बड़ी सजा लग रही होगी।
ताबूत में बंद बच्चे अपने हुक्मरानों से पूछ रहे हैं!

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
26 जनवरी, वर्ष 2001 को मैं अहमदाबाद में था। नहीं, अहमदाबाद में था नहीं, दोपहर में वहाँ पहुंच गया था।
नियंत्रण रेखा पर छह दिन : आँखों-देखी

विवेक कुमार भट्ट, चैनल प्रमुख, संदेश :
नियंत्रण रेखा (एलओसी) पार कर 40 आतंकवादी जम्मू कश्मीर में घुसे... पिछले कुछ दिनों मे 50 बार गोलीबारी हुई है, 20 जवान घायल हुए हैं और 4 जवानों ने जान गँवायी है।
कश्मीर पर मेरे कहे को पहले समझें तो सही!

डॉ वेद प्रताप वैदिक, राजनीतिक विश्लेषक :
पहले हाफिज सईद से मेरी मुलाकात पर संसद में हंगामा हुआ और फिर कश्मीर पर मेरे विचारों को लेकर। मुझे दुख है कि हमारे नेताओं ने इन दोनों मुद्दों पर ठंडे दिमाग से क्यों नहीं सोचा?
देखिए कि क्या दिखता है?

क़मर वहीद नक़वी, वरिष्ठ पत्रकार :
दिल्ली से बगदाद कितनी दूर है? ठीक-ठीक 3159 किलोमीटर। बीच में ईरान, अफगानिस्तान और पाकिस्तान। किसने सोचा था कि आग वहाँ लगेगी तो आँच तीन देशों को पार करते हुए अपने यहाँ तक आ जायेगी। वैसे तो इराक़ पिछले दस-बारह सालों से युद्ध से झुलस रहा है, लेकिन पहले कभी आज जैसी तपिश महसूस नहीं की गयी।
कश्मीर : आजादी हाँ, अलगाव ना

डॉ वेद प्रताप वैदिक, राजनीतिक विश्लेषक :
मैं आजकल के जिस टीवी चैनल पर जाता हूँ, कश्मीर का सवाल जरूर उठा दिया जाता है। जब मैं एंकरों और दूसरे साहबान से पूछता हूँ कि आप बताइये कश्मीर का हल क्या है तो उनके पास कोई ठोस, सगुण, साकार जवाब नहीं होता है।
पाकिस्तान : हिंदू लड़की से शादी करना होगा मुश्किल

संजय तिवारी, संपादक, विस्फोट :
पाकिस्तान की नवाज शरीफ सरकार एक पाकिस्तान के हिंदुओं की सुरक्षा की दिशा में एक ऐसी पहल करने जा रही है जिसके बाद कम से कम हिंदू लड़कियों को सामाजिक सुरक्षा मिले न मिले लेकिन कुछ हद तक कानूनी सुरक्षा जरूर मिल सकेगी।