Tag: प्रधान मन्त्री
संघ के दरबार में सरकार!
कमर वहीद नकवी, वरिष्ठ पत्रकार :
हाजिर हो! सरकार हाजिर हो! तो संघ के दरबार में सरकार की हाजिरी लग गयी! पेशी हो गयी! एक-एक कर मन्त्री भी पेश हो गये, प्रधान मन्त्री भी पेश हो गये! रिपोर्टें पेश हो गयीं! सवाल हुए, जवाब हुए। पन्द्रह महीने में क्या काम हुआ, क्या नहीं हुआ, आगे क्या करना है, क्यों करना है, कैसे करना है, क्या नहीं करना है, सब तय हो गया। तीन दिन, चौदह सत्र, सरकार के पन्द्रह महीने, संघ परिवार के अलग-अलग संगठनों के 93 प्रतिनिधियों की जूरी, हर उस मुद्दे की पड़ताल हो गयी, जो संघ के एजेंडे में जरूरी है!
रुठते परिंदे – 2002 में आखिरी बार आया था साइबेरियन क्रेन
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
विश्व पटल पर लंबे समय तक केवलादेव नेशनल पार्क की पहचान साइबेरियन क्रेन के कारण रही है। यहाँ हर साल साइबेरियन क्रेनों का जोड़ा सर्दियों से बचने के लिए और अपनी नई पीढ़ी को जन्म देने के लिए आया करता था। पर बदलते पर्यावरण के कारण एक वक्त आया जब साइबेरियन क्रेनों ने अपनी राह बदल ली। इस कदर रूठे कि दुबारा यहाँ का रुख नहीं किया।
तो कहाँ है वह संगच्छध्वम् ?
कमर वहीद नकवी, वरिष्ठ पत्रकार :
चौदह के पन्द्रह अगस्त और पन्द्रह के पन्द्रह अगस्त में क्या फर्क है? चौदह में 'सहमति' का शंखनाद था, पन्द्रह में टकराव की अड़! याद कीजिए चौदह में लाल किले से प्रधान मन्त्री नरेन्द्र मोदी का पहला भाषण। संगच्छध्वम्! मोदी देश को बता रहे थे कि हम बहुमत के बल पर नहीं बल्कि सहमति के मजबूत धरातल पर आगे बढ़ना चाहते हैं। उस साल एक दिन पहले ही नयी सरकार के पहले संसद सत्र का सफल समापन हुआ था। मोदी इसका यश सिर्फ सरकार को ही नहीं, पूरे विपक्ष दे रहे थे! संगच्छध्वम्!
मोदी जी, भाषण के आगे क्या है?
कमर वहीद नकवी, वरिष्ठ पत्रकार:
तो मोदी जी फिर तैयार हो रहे हैं। नहीं, नहीं, विदेश यात्रा के लिए नहीं! लाल किले से अपने दूसरे भाषण के लिए! क्या बोलना है, क्या कहना है? तैयारी हो रही है।
यादें – 12
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
अगर मैं जेपी आंदोलन, इमरजंसी, इन्दिरा गाँधी, दीदी, विमला दीदी को इतनी शिद्दत से लगातार याद करता हूँ, तो मुझे याद करना होगा 1984 की उस तारीख को जिस दिन इन्दिरा गाँधी की हत्या हुई थी। मुझे याद करना होगा उस 'जनसत्ता' अखबार को जहां मेरी किस्मत के फूल खिलने जा रहे थे। और मुझे याद करना होगा प्रभाष जोशी को, जिनसे 'जनसत्ता' में रहते हुए चाहे संपादक और उप संपादक के पद वाली जितनी दूरी रही हो, लेकिन अखबार छूटते ही हमने दिल खोल कर बातें कीं।
ऐप्प मोदी 2.2 को क्या अपडेट चाहिए?
कमर वहीद नकवी , वरिष्ठ पत्रकार
मोदी 2.1 पर तो खूब बहस हो चुकी। बहस अभी और भी होगी। सरकार का पहला साल कैसा बीता, मोदी सरकार अपनी कहेगी, विरोधी अपनी कहेंगे, समीक्षक-विश्लेषक अपनी कहेंगे, बाल की खाल निकलेगी। लेकिन क्या उससे काम की कोई बात निकलेगी? मोदी सरकार के पहले साल पर यानी मोदी 2.1 पर हमें जो कहना था, हम पहले ही कह चुके। अब आगे बढ़ते हैं।