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पाकिस्तान में बढ़ती शर्मनाक घटनाएँ, फिर भी पश्चिमी देशों का दुलारा पाकिस्तान
उत्तम प्रदेश में प्रजापति करते थे प्रजा से बलात्कार- इस तरह बोलता था ‘काम!’
अभिरंजन कुमार, वरिष्ठ पत्रकार :
इक्कीसवीं सदी की जवानी परवान पर थी। सोलहवाँ साल अभी-अभी पूरा हुआ था। सत्रहवाँ लग चुका था। ‘उत्तम प्रदेश’ में ‘समाजवादी प्रजातंत्र’ का जबर्दस्त जलवा था। जलवा भी ऐसा-वैसा नहीं! बस यूँ समझ लीजिए कि ‘काम’ बोलता था। ‘प्रजातंत्र’ के ‘प्रजापति’ लोग ‘कामुकता’ की पराकाष्ठा पार कर चुके थे। वे मानते थे कि वे ‘प्रजा’ के ‘पति’ हैं, इसलिए उन्हें ‘प्रजा’ के साथ वह सब करने का अधिकार है, जो एक पति अपनी पत्नी के साथ करता है। पीड़ित ‘प्रजा’ भले इसे बलात्कार मानती थी, लेकिन वे स्वयं इसे ‘काम’ समझकर ही अंजाम दिया करते थे।
आँखों को धोखा नहीं देना चाहिए
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
फातमागुल एक लड़की का नाम है। एक दिन शहर से कुछ लड़के मौज-मस्ती करने शहर से दूर निकलते हैं और एक गाँव से गुजरते हुए उनकी निगाह फातमागुल पर पड़ती है। फातमागुल सुंदर, सरल और किशोरावस्था से निकल रही बच्ची है। वो गाँव के ही एक लड़के से प्रेम करती है।
बलात्कारी को कौन रोकेगा?
सुशांत झा, पत्रकार :
निर्भया मामले में बाल अपराधी की उम्र को लेकर बहस हो रही है, मेरे ख्याल से इसे कम करने की जरूरत है। कम से कम बलात्कार और हत्या जैसे मामलों में तो जरूर। 18 साल सरकार चुनने की उम्र तो हो सकती है, लेकिन बलात्कार या हत्या के प्रति अनभिज्ञ रहने की नहीं। इस सूचना विस्फोट के युग में 18 साल की उम्र में कोई व्यक्ति वैसा बालक भी नहीं रहता-जी हाँ वो गरीब का बच्चा भी नहीं जिसके बारे में कई लोग कह रहे हैं कि गरीबी और जहालत के हालात ने उसे बलात्कार करने पर मजबूर किया होगा। मुझे लगता है कि किसी गरीब या अनपढ़ का इससे बड़ा अपमान क्या होगा?
सबके पाप का घड़ा भरता है
राणा यशवंत, प्रबंध संपादक, इंडिया न्यूज :
सुबह आमतौर पर घर से फोन पर मीटिन्ग करता हूँ। मीटिन्ग के दौरान ही न्यूजरुम में शोर शराबा-सा लगा। पूछा क्या हुआ। पता चला महेंद्र चावला को कुछ लोगों ने पानीपत में गोली मार दी।
महेंद्र चावला आसाराम औऱ उनके बेटे नारायण साईं के खिलाफ चल रहे बलात्कार के मुकदमें में गवाह हैं।
बेटियों के गुनाहगार
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
राज कपूर की फिल्म ‘प्रेम रोग’ जब मैं देख रहा था, तब मैं स्कूल में रहा होऊंगा।
इस रास्ते हम कहाँ जाना चाहते हैं?
कमर वहीद नकवी, वरिष्ठ पत्रकार :
देश में यह हो क्या रहा है? नगालैंड के बाद अब आगरा से वैसी ही दिल दहला देनेवाली एक खबर आयी है। शहर के बीचोबीच एक बस्ती में इसी हफ्ते मुहल्लेवालों ने पीट-पीट कर एक नौजवान की हत्या कर दी। उस पर आरोप था कि नशे में उसने अश्लील हरकत की।
महज 36 घंटों में पेशावर से पीके…
दीपक शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार :
क्या देश है? महज 36 घंटों में कर्बला के मातम से निकल कर सिनेमा की मस्ती में खो गया? महज 36 घंटों में पेशावर से पीके पहुँच गया। मै अभी पेशावर के नन्हे-मुन्नों पर तीसरी पोस्ट लिख ही रहा था कि भाई साहब का फोन आ गया।
महिला कैब में सुरक्षित होंगी दिल्ली की महिलाएं?
शिव ओम गुप्ता :
राजधानी में उबर कैब के ड्राइवर शिव कुमार यादव द्वारा कैब में सवार लड़की से बलात्कार की घटना से सबक लेते हुए दिल्ली पुलिस अब महिला कैब ड्राइवरों के बेड़े को सड़कों पर उतारने जा रही है।
बलात्कार: कानून बनाने के अलावा सरकार ने क्या किया?
क़मर वाहिद नक़वी, वरिष्ठ टीवी पत्रकार :
कागज का आविष्कार न हुआ होता, तो सरकारें कैसे चलतीं? दिलचस्प सवाल है! कल्पना कीजिए। आप भी शायद इसी नतीजे पर पहुँचेंगे कि कागज के बिना सरकार चल ही नहीं सकती!