Tag: बहन
भाई की आँखों में चमक और बहन की आँखों में प्यार

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
माँ तीन दिनों के लिए पिताजी के साथ बाहर गई थी। मैं बिना माँ के एक दिन नहीं रह सकता था। माँ ने जाते हुए मुझसे दो साल बड़ी बहन को निर्देश दिया था कि संजू का ख्याल रखना। बहन चुपचाप खड़ी थी।
भाई दूज : आस्था और विज्ञान

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
मेरे घर काम करने वाली बता रही थी कि वो भाई दूज के दिन काम पर नहीं आएगी।
प्यार, परवाह और भरोसा

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
पिछले हफ्ते हम अपनी बहन के ससुर के श्राद्ध में शामिल होने के लिए पटना गये थे। हम यानी मैं और मेरी पत्नी।
स्वामिनी

प्रेमचंद :
शिवदास ने भंडारे की कुंजी अपनी बहू रामप्यारी के सामने फेंककर अपनी बूढ़ी आँखों में आँसू भरकर कहा- बहू, आज से गिरस्ती की देखभाल तुम्हारे ऊपर है। मेरा सुख भगवान से नहीं देखा गया, नहीं तो क्या जवान बेटे को यों छीन लेते! उसका काम करने वाला तो कोई चाहिए। एक हल तोड़ दूँ, तो गुजारा न होगा। मेरे ही कुकरम से भगवान का यह कोप आया है, और मैं ही अपने माथे पर उसे लूँगा। बिरजू का हल अब मैं ही संभालूँगा। अब घर की देख-रेख करने वाला, धरने-उठाने वाला तुम्हारे सिवा दूसरा कौन है? रोओ मत बेटा, भगवान की जो इच्छा थी, वह हुआ; और जो इच्छा होगी वह होगा। हमारा-तुम्हारा क्या बस है? मेरे जीते-जी तुम्हें कोई टेढ़ी आँख से देख भी न सकेगा। तुम किसी बात का सोच मत किया करो। बिरजू गया, तो अभी बैठा ही हुआ हूँ।



संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
प्रेमचंद :





