Friday, March 29, 2024
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“प्रियंका, मुलायम क्यों नहीं कर रहे पूरे उत्तर प्रदेश में प्रचार?”

भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश में चौथे चरण का चुनाव प्रचार खत्म होने से पहले जहाँ प्रियंका वाड्रा और मुलायम सिंह यादव के कम प्रचार करने पर तंज कसा है, वहीं लखनऊ आगरा एक्सप्रेसवे में भारी भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है।

भाजपा के राज-परिवार और शहजादे!

[caption id="attachment_8744" align="alignnone" width=""]गृहमंत्री राजनाथ सिंह और उनके पुत्र पंकज सिंह[/caption]

राजीव रंजन झा : 

भारतीय जनता पार्टी अपने मुख्य प्रतिद्वंद्वी दल कांग्रेस को सबसे ज्यादा इसी बात पर चिढ़ाती है कि उसमें एक राज-परिवार है, एक रानी हैं, एक युवराज हैं और पूरी कांग्रेस इस परिवार से बाहर कुछ देख ही नहीं सकती। 

भाजपा के नेता सेट कर रहे बेटे-बेटियों को

राजीव रंजन झा : 

कांग्रेस में नेहरू जी के बाद कौन? इंदिरा जी। 

इंदिरा जी के बाद कौन? संजय जी। 

संजय जी की विमान दुर्घटना में मौत, अब कौन? राजीव जी।

राजीव जी के बाद कौन? सोनिया जी। 

सोनिया जी के बाद कौन? राहुल जी। 

राहुल जी नहीं चल रहे तो साथ में या विकल्प के रूप में कौन? प्रियंका जी। 

भाजपा में स्वामी प्रसाद, कितनी मजबूरी-कितनी रणनीति

संदीप त्रिपाठी :

बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती पर आरोपों की झड़ी लगा कर 22 जून को पार्टी छोड़ने वाले उनके विश्वस्त रहे स्वामी प्रसाद मौर्य आखिरकार भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गये। यानी डेढ़ महीने की मशक्कत के बाद स्वामी प्रसाद को भाजपा में जगह मिली।

कश्मीर में कुछ करिए : स्पष्ट संदेश दीजिए कि ‘नहीं मिलेगी आजादी’

संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय :

गनीमत है कि कश्मीर के हालात जिस वक्त बहुत बुरे दौर से गुजर रहे हैं, उस समय भारतीय जनता पार्टी विपक्ष में नहीं है। कल्पना कीजिए कि इस समय केंद्र और राज्य की सत्ता में कोई अन्य दल होता और भाजपा विपक्ष में होती तो कश्मीर के मुद्दे पर भाजपा और उसके समविचारी संगठन आज क्या कर रहे होते। इस मामले में कांग्रेस नेतृत्व की समझ और संयम दोनों की सराहना करनी पड़ेगी कि एक जिम्मेदार विपक्ष के नाते उन्होंने अभी तक कश्मीर के सवाल पर अपनी राष्ट्रीय और रचनात्मक भूमिका का ही निर्वाह किया है।

अपनी भूमिका पर पुर्नविचार करें राष्ट्रीय दल

संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय :

अब जबकि आधे से ज्यादा भारत क्षेत्रीय दलों के हाथ में आ चुका है तो राष्ट्रीय राजनीतिक दलों को चाहिए कि वे नए सिरे से अपनी भूमिका का विचार करें। भारत की सबसे पुरानी पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, दोनों प्रमुख कम्युनिस्ट पार्टियाँ और भारतीय जनता पार्टी आम तौर पर पूरे भारत में कम या ज्यादा प्रभाव रखती हैं। उनकी विचारधारा उन्हें अखिल भारतीय बनाती है भले ही भौगोलिक दृष्टि से वे कहीं उपस्थित हों, या न हों।

अमित शाहः कांटों का ताज

संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय  :

भारतीय जनता पार्टी ने अंततः अमित शाह को दोबारा अपना अध्यक्ष बना कर यह संदेश दे दिया है कि पार्टी में ‘मोदी समय’ अभी जारी रहेगा। कई चुनावों में पराजय और नाराज बुजुर्गों की परवाह न करते हुए बीजेपी ने साफ कर दिया है कि अमित शाह, उसके ‘शाह’ बने रहेंगे। दिल्ली और बिहार की पराजय ने जहाँ अमित शाह के विरोधियों को ताकत दी थी, तथा उन्हें यह मौका दिया था कि वे शाह की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर सकें। किंतु विरोधियों को निराशा ही हाथ लगी और शाह के लिए एक मौका फिर है कि वे अपनी आलोचनाओं को बेमतलब साबित कर सकें।

रिटेल एफडीआई पर केन्द्र सरकार के यू-टर्न के मायने क्या हैं

संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय  :

भारतीय जनता पार्टी की मोदी सरकार ने खुदरा व्यापार में 51% एफडीआई के पूर्ववर्ती सरकार के निर्णय को जारी रखने का फैसला किया है।

दिल्ली चुनाव और दिल की बात

अभिरंजन कुमार :

दिल्ली में कोई जीते, कोई हारे, मुझे व्यक्तिगत न उसकी कोई ख़ुशी होगी, न कोई ग़म होगा, क्योंकि मुझे मैदान में मौजूद सभी पार्टियां एक ही जैसी लग रही हैं। अगर मैं दिल्ली में वोटर होता, तो लोकसभा चुनाव की तरह, इस विधानसभा चुनाव में भी "नोटा" ही दबाता।

क्या हो पायेगा ‘आप’ का पुनर्जन्म?

क़मर वहीद नक़वी, वरिष्ठ पत्रकार :

तो क्या ‘आप’ का पुनर्जन्म हो सकता है? दिल्ली में चुनाव की रणभेरी बज चुकी है। सबसे बड़ा सवाल यही है, ‘आप’ का क्या होगा? केजरीवाल या मोदी? दिल्ली किसका वरण करेगी?

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