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चंद्रवती मत बनें
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
पटना में था तो घर में काम करने वाली महिला को हम 'दाई' बुलाते थे। भोपाल गया तो वहाँ घर पर काम करने वाली को 'बाई' बुलाने लगे। वैसे तो दिल्ली मुझ जैसे जहीन इंसान के लिए रत्ती भर मुफीद जगह नहीं है, जहाँ बात-बात पर माँ-बहन को घसीट लिया जाता है, पर यहाँ घर में काम करने वाली महिला को 'माई' बुलाने का रिवाज है और यह रिवाज मुझे बहुत अच्छा लगता है।
आदमी भावनाओं से संचालित होता है, कारणों से नहीं
संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
एक छोटा बच्चा हर सुबह आसमान में उगने वाले सूरज को देख कर अपने पिता से पूछा करता था कि ये रोशनी का गोला क्या है? पिता उसे बताते कि यह सूरज है और यह पृथ्वी के चक्कर लगाता हुआ हर सुबह तुम्हारे पास आता है और शाम को चला जाता है। शाम को यही काम चंद्रमा करता है। वो भी पृथ्वी के चक्कर लगाता हुआ तुम्हारे पास आता है और फिर सुबह चला जाता है।
‘नौलखा’ सूट : सब कुछ लुटा के होश में आये तो क्या किया
राजीव रंजन झा :
वैसे तो नरेंद्र मोदी बड़े शानदार संचारक हैं, खूब जानते-समझते हैं कि किस मौके पर क्या कहना है, कैसे कहना और क्या नहीं कहना है, लेकिन ओबामा की भारत यात्रा के दौरान वे एक भारी चूक कर गये। एक सूट पहन लिया, जिसके बारे में कहा गया कि वह नौलखा सूट है।