Tag: महाभारत
मार्केटिंग के यक्ष-प्रश्न
आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :
मार्केटिंग-प्रधान युग में हर ज्ञान को आखिर को सेल और मुनाफे के तराजू पर ही तुलना है। कितना बेच लिया और कितना कमा लिया, हर तरह के ज्ञान के शीर्ष पर ये ही दो सवाल हैं। जिसकी सेल संभव नहीं, उसका खेल खत्म मान लिया जाता है। जैसा कि हमारे वक्त के बड़े कामेडियन- स्कालर कपिल शर्मा के कहे का आशय है-बिकता है सब कुछ, बेचनेवाला चाहिए।
कलियुग में हारे का सहारा हैं खाटू श्याम
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
राजस्थान के सीकर जिले में खाटू श्याम का प्रसिद्ध मन्दिर है। देश भर से श्रद्धालु उनके दर्शन के लिए पहुँचते हैं। खाटू श्याम जी महाभारत की कथा के बबर्रीक हैं।
अज्ञानता की पट्टी उतारने वाले ही जीतते हैं
संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
क्या आपने कभी ये जानने की कोशिश कि महाभारत काल में गांधारी की शादी जब हस्तीनापुर के नेत्रहीन राजा धृतराष्ट्र से हो गई, तो गांधार के लोगों ने उस पर क्या प्रतिक्रिया जतायी? क्या आपने कभी ये जानने की कोशिश की कि जब कोई स्त्री अपने विवाह को अपनी किस्मत मान कर अपनी आँखों पर पट्टी बांध लेती है, तो उससे जुड़े लोगों पर क्या गुजरती है?
मन की कमजोरी
संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
“आओ संजू, मेरे पास बैठो।”
माँ मुझे पास बुला कर मेरा सिर सहला रही थी।
भाव महत्वपूर्ण हो तो ‘मरा’ भी ‘राम’ होगा
संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
मैंने बात सिर्फ अच्छे और बुरे पैसे की थी। मैंने सिर्फ इतना ही कहने की कोशिश की थी कि जिस तरीके से मनुष्य धन अर्जित करता है, वो तरीका ही धन की गुणवत्ता तय करता है। मैं जानता हूँ कि ये एक लंबे विवाद का विषय है। विवाद से भी अधिक ज्ञान और अज्ञान का विषय है।
रिश्तों को समझो, नहीं तो जीवन शाप लगेगा
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
मैं कोई ज्योतिष नहीं हूँ, लेकिन मैं भविष्यवाणी कर सकता हूँ।
यह मेरी भविष्यवाणी है कि अगले कुछ वर्षों में आदमी इच्छा मृत्यु के शाप से ग्रस्त हो जायेगा।