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हमारी खुशी
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
गाँव का एक आदमी मुंबई गया था और वहाँ वो ऊंची-ऊंची इमारतों को देख कर हैरान था।
राष्ट्रीय रेल भिंडी बाजार से होकर गुजरना….
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
भक्ति पार्क मोनो रेल स्टेशन से सीएसटी की तरफ जाना था। अचानक बेस्ट की बस नंबर 45 दिखायी देती है। इस पर मंत्रालय लिखा था। हमने पूछा सीएसटी होकर जाती है। उत्तर हाँ में मिलने पर हम बस में सवार हो गये। बस में सीट मिल गयी। पर आने वाले स्टाप पर भीड़ बढ़ने लगी।
मुंबई में पेट पूजा – आनंद भवन की शाकाहारी थाली
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
मुंबई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनस रेलवे स्टेशन के पास शाकाहारी खाने के लिए सबसे निकट में अच्छा विकल्प है, स्पेशल आनंद भवन। स्टेशन से बाहर निकलते ही मिंट रोड पर चलने पर दाहिनी तरफ स्पेशल आनंद भवन नजर आता है।
पहाड़ों की तलहटी में बाउ कालेश्वर मंदिर
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
पहाड़ों की तलहटी में एक सुंदर सा मंदिर। मंदिर के एक तरफ झील तो दूसरी तरफ लहलहाते नारियल के पेड़। मुंबई की भीड़ भरी जिंदगी में इतना सुंदर मंदिर तो ईश्वर की अराधना में लीन होने का आनंद और भी बढ़ जाता है। कुछ ऐसा ही मुंबई के तुर्भे एमआईडीसी इलाके में स्थित बाऊ कालेश्वर का मंदिर। मंदिर परिसर में सफेद रंग के तीन खूबसूरत मंदिर बने हैं।
चलिए मोनो रेल से देखें मुंबई
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
मोनो रेल यानी एक पहिए पर चलने वाली रेल। देश में मुंबई शहर में चलने लगी है मोनो रेल। इस बार मुंबई की यात्रा में हमारी दिली तमन्ना थी कि मोनो रेल का सफर किया जाये। सो 20 फरवरी की सुबह-सुबह मैं और अनादि तैयार हो गये मोनो रेल के सफर पर जाने के लिए।
शापिंग मुंबई के फैशन स्ट्रीट से
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
मुंबई में मध्यम वर्ग के लोगों के लिए खरीदारी करने का प्रिय स्थल है फैशन स्ट्रीट। पहले ये जान लेते हैं कि फैशन स्ट्रीट है कहाँ। तो जनाब ये वेस्टर्न लाइन के आखिरी स्टेशन चर्च गेट या फिर सेंट्रल लाइन के आखिरी टर्मिनल छत्रपति शिवाजी टर्मिनस से बीच में है।
दादर यानी मुंबई का दिल
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
वैसे तो मुंबई बहुत बड़ी है। पर मुंबई का दिल तो दादर में बसता है। भला कैसे। अगर आप नक्शे में देखेंगे तो दादर मुंबई के लगभग बीच में है। मैंने अपने मुंबई के पुराने दोस्त आईपीएस यादव से पूछा की मुंबई में घूमने के लिए कुछ दिन रुकना हो तो कहाँ रुकना ठीक होगा। उन्होंने कहा, दादर में रुकिए। वहाँ से सारे स्थानों को जाने के लिए गाड़ियाँ मिल जाती है। वैसे दादर कहीं से भी बीच में है। यह काफी हद तक सही भी है।
मुंबई की टैक्सी सेवा के बहाने प्रीमियर पद्मिनी की याद
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
मुंबई के कई अच्छे चेहरे हैं। इसमें एक है यहाँ की टैक्सी और आटो सेवा। मुंबई में कोई टैक्सी वाला आपको दिन हो या रात कभी भी कहीं जाने से मना नहीं करेगा। हमेशा मीटर से चलने की बात करेंगे। कोई किराया की बारगेनिंग नहीं। मुख्य मुंबई के इलाके में तो आटो रिक्शा चलते ही नहीं हैं। सिर्फ टैक्सी सेवाएँ हैं।
रूमानी है एलिफैंटा के लिए स्टीमर का सफर
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया से एलीफैंटा टापू तक जाने में तकरीबन सवा घंटे लगते हैं। पर ये सफर यादगार होता है। दूरी की बात करें तो यह रास्ता 12 किलोमीटर का है। मुंबई से एलीफैंटा के बीच कुल 90 मोटर बोटों को संचालन होता है। ये मोटर बोट एक सहकारी समिति के तहत चलती हैं।
एक मराठी शादी में….बारी बरसी खटन गया सी…
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
फरवरी 16 साल 2016 की सुबह हमारा पुणे जाना हुआ था शादी में शामिल होने के लिए। शादी किसकी। हमारी साली साहिबा की। वे रेडियोलॉजिस्ट हैं। पटना की हैं पर मुंबई में रहते हुए उन्होंने अपने लिए मराठी दूल्हा ढूँढा। तो शादी की सारी रश्में मराठी रीति रिवाज से होनी थी।