Friday, November 22, 2024
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अब मुसलमानों की तरफ कदम बढ़ाये भाजपा

राजीव रंजन झा : 

यदि भाजपा मानती है कि उत्तर प्रदेश में उसे कुछ मुस्लिम मत भी मिले हैं, तो अब एक-दो कदम आगे बढ़ाने की बारी उसकी है।

वाह रे मुख्तार तेरी माया, भैया ने ठुकराया, बहन जी ने अपनाया!

अभिरंजन कुमार, वरिष्ठ पत्रकार :

यह मेरे मुस्लिम भाइयों-बहनों का सौभाग्य है या दुर्भाग्य, कि देश से लेकर प्रदेश तक के चुनावों में ध्रुवीकरण की राजनीति की मुख्य धुरी वही बने रहते हैं? उनका समर्थन और वोट हासिल करने के लिए राजनीतिक दलों को कौन-कौन से पापड़ नहीं बेलने पड़ते!

क्या मुस्लिम मेरे भाई-बहन नहीं, जो उन्हें नहीं दिखा सकता आइना?

अभिरंजन कुमार, पत्रकार :

हिन्दू धर्म की मान्यताओं पर भी मैं कभी मोहित नही हुआ। इधर बीच इसमें घुस आई कुरीतियों पर भी मैं हमेशा हमलावर मुद्रा में रहता हूँ। जिन प्रमुख मुद्दों पर मैं नियमित रूप से हमले करता रहता हूँ, उनमें- पर्व-त्योहारों पर मासूम जानवरों की बलि, कुकुरमुत्ते की तरह उग आए भगवान और बाबा एवं जाति-प्रथा शामिल हैं।

बलि के बकरों के लिए किसका काँपता है कलेजा?

अभिरंजन कुमार :

अखलाक को किसी हिन्दू ने नहीं मारा। हिन्दू इतने पागल नहीं होते हैं। उसे भारत की राजनीति ने मारा है, जिसके लिए वह बलि का एक बकरा मात्र था। सियासत कभी किसी हिन्दू को, तो कभी किसी मुस्लिम को बलि का बकरा बनाती रहती है। इसलिए जिन भी लोगों ने इस घटना को हिन्दू-मुस्लिम रंग देने की कोशिश की है, वे या तो शातिर हैं या मूर्ख हैं।

क्या प्रयास कर रहा है अल्पसंख्यक समुदाय?

जाने-माने हिंदी लेखक और जामिला मिलिया इस्लामिया के हिन्दी विभाग के पूर्व अध्यक्ष असग़र वजाहत ने अपनी एक ताजा टिप्पणी से भारत में बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक समुदाय के बीच रिश्तों पर नया सवाल उठाया है। इन सवालों पर उनके विचार क्या हैं और इन्हें उठाने की जरूरत क्यों पड़ी है, इसे समझने के लिए राजीव रंजन झा ने उनसे बातचीत की। 

मुस्लिम मानसः बात निकली है तो दूर तलक जायेगी

संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय :

संवाद के अवसर हों, तो बातें निकलती हैं और दूर तलक जाती हैं। मुस्लिम समाज की बात हो तो हम काफी संकोच और पूर्वाग्रहों से घिर ही जाते हैं।

क्यों बढ़ती है मुस्लिम आबादी?

क़मर वहीद नक़वी : 

मुसलमानों की आबादी बाकी देश के मुकाबले तेजी से क्यों बढ़ रही है? क्या मुसलमान जानबूझ कर तेजी से अपनी आबादी बढ़ाने में जुटे हैं? क्या मुसलमान चार-चार शादियाँ कर अनगिनत बच्चे पैदा कर रहे हैं? क्या मुसलमान परिवार नियोजन को इसलाम-विरोधी मानते हैं? क्या हैं मिथ और क्या है सच्चाई? 

धर्मांतरणः हंगामा क्यों है बरपा?

संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय :

धर्मांतरण के मुद्दे पर मचे बवाल ने यह साफ कर दिया है कि इस मामले पर शोर करने वालों की नीयत अच्छी नहीं है। किसी का धर्म बदलने का सवाल कैसे एक सार्वजनिक चर्चा का विषय बनाया जाता है और कैसे इसे मुद्दा बनाने वाले धर्मांतरण के खिलाफ कानून बनाने के विषय पर तैयार नहीं होते, इसे देखना रोचक है।

9000 मुस्लिमों ने किया धर्मांतरण, तब कहाँ था मीडिया?

शिव ओम गुप्ता :

केरल के मुख्यमंत्री ओमान चांडी का 2012 में वहाँ की विधानसभा में दिये बयान के मुताबिक वर्ष 2006 से 2012 के बीच केरल में कुल 7,000 से अधिक लोगों को धर्म परिवर्तन के जरिए मुसलमान बनाया गया, लेकिन किसी भी नेशनल चैनल्स ने चर्चा तो छोड़ो, टिकर भी देना मुनासिब नहीं समझा। लेकिन आज मीडिया चैनल्स ने इस पर मछली बाजार सजा दिया है।

रोजों पर प्रतिबंध: मुठभेड़ की नीति

डॉ वेद प्रताप वैदिक, राजनीतिक विश्लेषक :

चीन की सरकार ने अपने सिंच्यांग प्रांत में रोजों पर प्रतिबंध लगा दिया है। उसने सिंच्यांग की जनता के नाम एक फरमान जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि सरकारी कर्मचारियों, अध्यापकों, पार्टी-सदस्यों और नौजवानों को न तो रोजे रखने दिए जायेंगे और न ही उन्हें नमाज के लिए कहीं भी बड़ी तादाद में इकट्ठा होने दिया जायेगा।

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