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आजादी के बाद मुसलमानों की अग्नि-परीक्षा !

पुण्य प्रसून बाजपेयी, कार्यकारी संपादक, आजतक :
1952 में मौलाना अब्दुल कलाम आजाद को जब नेहरु ने रामपुर से चुनाव लड़ने को कहा तो अब्दुल कलाम ने नेहरु से यही सवाल किया था कि उन्हें मुस्लिम बहुल रामपुर से चुनाव नहीं लड़ना चाहिये।
तीन देवियों से मोदी की टक्कर

अखिलेश शर्मा, वरिष्ठ संपादक (राजनीतिक), एनडीटीवी :
वो अगर तूफान के पहले की खामोशी थी तो तूफान आने के बाद एहसास हुआ कि उस खामोशी के पीछे क्या राज था। बात तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता की हो रही है जिन्होंने आखिरकार नरेंद्र मोदी और गुजरात के विकास मॉडल पर अपनी चुप्पी तोड़ ही दी।
बनारस का विरोध रस

रवीश कुमार, वरिष्ठ टेलीविजन एंकर :
बनारस इस चुनाव का मनोरंजन केंद्र बन गया है। बनारस से ऐसा क्या नतीजा आने वाला है जिसे लेकर कृत्रिम उत्सुकता पैदा की जा रही है।
मोदी के मुकाबले एक बेहतर मोदी

डॉ वेद प्रताप वैदिक, राजनीतिक विश्लेषक :
नरेंद्र मोदी ने किसी टीवी चैनल पर यह जो कहा कि उनकी सरकार प्रतिशोध की भावना से काम नहीं करेगी, यह अपने आप में बड़ी बात है।
मोदी लहर से मुक्त मध्य प्रदेश

अनिल सौमित्र, स्वतंत्र पत्रकार :
देश में जितनी और जैसी राजनीतिक सरगर्मी है, मध्य प्रदेश में नहीं है। मध्य प्रदेश में विधान सभा का चुनाव जरूर आर-पार का था, लेकिन लोक सभा के लिए चुनावी माहौल वैसा नहीं है।
मोदी का मिशन बनाम संघ का टारगेट

पुण्य प्रसून बाजपेयी, कार्यकारी संपादक, आजतक :
मोदी को पीएम की कुर्सी चाहे 272 में मिलती हो लेकिन संघ का टारगेट 395 सीटों का है। संघ के इस टारगेट का ही असर है कि अगले एक महीने में मोदी के पांव जमीन पर तभी पडेंगे, जब उन्हें रैली को संबोधित करना होगा।
सर्किट हाऊस के कमरा नं 1 ए से 7 रेसकोर्स की दौड़ तक

पुण्य प्रसून बाजपेयी, कार्यकारी संपादक, आजतक :
2002 का "अछूत" 2014 में "पारस" कैसे बन गया?
नरेंद्र मोदी ने 6 अक्टूबर 2001 में जब सीएम की कुर्सी संभाली उस वक्त मोदी ने सोचा भी नही था कि जिस सीएम की कुर्सी पर बने रहने के लिये उन्हें विधानसभा की सीट देने के लिये कोई तैयार नहीं है, वही सीएम की कुर्सी 12 बरस बाद उन्हें पीएम की कुर्सी का दावेदार बना देगी।
भाजपा के मुख पर विकास, दिल में राम

भारतीय जनता पार्टी ने आज घोषणा पत्र जारी कर दिया। भाजपा ने एक भारत, श्रेष्ठ भारत के निर्माण के लिए सबका साथ, सबका विकास का नारा दिया है।
मोदी, मुसलमान और मधु किश्वर के मधुर किस्से

संजय तिवारी, संपादक, विस्फोट :
सात रेसकोर्स रोड के चौराहे पर अकबर रोड पर दो घर बिल्कुल आमने-सामने हैं।
बड़ी-बड़ी उम्मीदें हैं मोदी की बड़ी चुनौती

क़मर वहीद नक़वी, संपादकीय निदेशक, इंडिया टीवी :
सरकार किस दल की नहीं, बल्कि कैसी बनती है, इस पर निर्भर करेगा कि वह क्या काम कर पाती है।