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हार्ट का नया माडल
आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :
और, और, और, और लीजिये, पुराने भले ही अभी सिर्फ तीन महीने ही पुराना क्यों ना हो, नया ले ही लीजिये।
आधुनिकता में अकेलापन
संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
कल शाम मैं सिंगापुर के एक रेस्त्रां में बैठा था।
मेरा मन पिज्जा खाने का था। आर्किड रोड पर हल्की बारिश के बीच मैंने उस इटालियन रेस्त्राँ में बैठ कर पिज्जा का ऑर्डर किया। मेरे ठीक बगल वाली मेज पर एक दंपति बैठे थे। उन्होंने भी पिज्जा ऑर्डर किया था। मैं मन ही मन सोच रहा था कि यहाँ के लोग कितने खुश रहते हैं। पति-पत्नी या दोस्त शाम को साथ घूमने निकलते हैं, साथ बैठते हैं, डिनर करते हैं।
रिचार्ज का भन्डारा
आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :
मैंने एक पुण्यार्थी उद्योगपति से निवेदन किया कि मुफ्त का पानी पिलाना इस गरमी में बहुत पुण्य का काम है।
जीओ और जीने दो
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
मुझे तो सुबह उठ कर अपनी पत्नी को धन्यवाद कहना ही चाहिए।
उसने मुझे कभी देर रात हाथ में कम्प्यूटर की स्क्रीन में झाँकने से नहीं रोका।
मेक इन इंडिया पर टिका देसी मोबाइल कंपनियों का भविष्य
राजेश रपरिया :
मोदी सरकार देश के आर्थिक विकास के लिए अपनी तमाम मंशाएँ जता चुकी है। 28 फरवरी को पेश होने वाले आम बजट में उन्हें कैसे मूर्त रूप मिलता है, इस पर भारतीय कॉर्पोरेट जगत की निगाहें टिकी हुई हैं।
क्या आप भी हैं स्मार्टफोन के दीवाने?
देश मंथन डेस्क :
भारतीय मोबाइल उपभोक्ताओं में भले ही अभी भी बेसिक मोबाइल फोन अधिक प्रचलित हो, लेकिन ताजा आंकड़े बताते हैं कि दुनिया भर के 57% स्मार्टफोन उपभोक्ताओं का मानना है कि वे स्मार्टफोन के बिना रह ही नहीं सकते। एक सर्वेक्षण के मुताबिक 3 में से 1 व्यक्ति स्मार्टफोन के लिए एक सप्ताह तक टेलीविजन देखना छोड़ सकते हैं।