Sunday, November 24, 2024
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तेरे ‘मासूम’ सवालों से हैरान हूँ मैं

राजीव रंजन झा : 

मध्य प्रदेश की भोपाल जेल से भागे आठ आतंकवादियों की मुठभेड़ में हुई मौत के बाद तमाम राजनीतिक दल और कथित रूप से उदार विचारधारा वाले लोगों की तरफ से सवालों की बौछार शुरू हो गयी है। सवाल पूछने वालों की नीयत चाहे जो भी हो, मध्य प्रदेश सरकार को इन सवालों के जवाब जरूर देने चाहिए।

सदमा या आजादी

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :

आपको बताया था न कि पिछले दिनों जब मैं कान्हा में टाइगर देखने गया था, उस रात जंगल के गेस्ट हाउस की बत्ती चली गयी थी। अब टाइगर तो वहाँ मिले नहीं, हाँ, पड़ोस के कमरे में एक डॉक्टर मिल गये। 

यमराज के चंपू से लोहा लें

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :

कल मैंने नोएडा के एक मॉल में खाना खाते हुए उत्तराखंड के एक आईएएस अधिकारी की हृदयघात से मौत की कहानी लिखी थी। मैंने आपसे अनुरोध किया था कि आप मेरी इस कहानी को जितने लोगों तक पहुँचा सकें, पहुँचा दें।

सद्गति

प्रेमचंद : 

दुखी चमार द्वार पर झाडू लगा रहा था और उसकी पत्नी झुरिया, घर को गोबर से लीप रही थी। दोनों अपने-अपने काम से फुर्सत पा चुके थे, तो चमारिन ने कहा, 'तो जाके पंडित बाबा से कह आओ न। ऐसा न हो कहीं चले जायँ।'

जीवन का मंदिर

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :

दुनिया भर के धर्म प्रचारकों, अपने दुश्मनों को मुँहतोड़ जवाब देने के लिए व्याकुल वीर पुरुषों, अपने-अपने मजहब के लिए दूसरों के सिर कलम कर देने का दम दिखाने वालों, चंद रुपयों के लिए किसी के दिल पर नश्तर चला देने वाले महान मनुष्यों, आओ, मेरे साथ तुम जिन्दगी के उस सत्य को देखो, जिसे देख कर हजारों साल पहले सिद्धार्थ नामक एक राजकुमार सबकुछ छोड़ कर संन्यासी बन गया था।

जहाँ आकर मौत भी मुस्काराती है

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :

आज मैं आपको जबलपुर में बैठ कर अनिता की कहानी सुनाऊँगा। फिर सुनाऊँगा फेसबुक पर किसी की भेजी वो कहानी जिसका रिश्ता सीधे-सीधे अनिता की कहानी से जुड़ा है। 

नो नेक्स्ट प्रत्यूषा

आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार  :

उफ्फ जैसे खिलता हुआ फूल खुद को ही तोड़ ले और अलग कर ले जिंदगी से। 

सियाचिन-दुनिया का सबसे ऊँचा युद्धस्थल

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :

हिमालय के पूर्वी कारकोरम रेंज में स्थित सियाचिन दुनिया के सबसे ऊँचे युद्धस्थलों में से एक है। सियाचिन दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हिमनद ( ग्लेसियर) है। भारत पाकिस्तान के बीच सामरिक रूप से महत्वपूर्ण है, लेकिन सियाचिन में तैनात फौजियों की जिंदगी काफी मुश्किल है।

शवयात्रा में क्रिकेट

आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार  :

मैं ऊपर वाले प्रार्थना करता हूँ, कि जीते जी वह चाहे जैसा सलूक करे मेरे साथ। पर मेरी मौत उस दिन ना शेड्यूल करे, जिस दिन भारत और पाकिस्तान का वन डे क्रिकेट मैच हो। 

छात्र आंदोलन : खो गया है रास्ता

संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय : 

हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्र रोहित वेमूला की आत्महत्या की घटना ने हमारे शिक्षा परिसरों को बेनकाब कर दिया है। सामाजिक-राजनीतिक संगठनों में काम करने वाले छात्र अगर निराशा में मौत चुन रहे हैं, तो हमें सोचना होगा कि हम कैसा समाज बना रहे हैं? किसी राजनीति या विचारधारा से सहमति-असहमति एक अलग बात है, किंतु बात आत्महत्या तक पहुँच जाए तो चिंताएँ स्वाभाविक हैं।

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