Tag: येलेना
संपूर्णता मिलन में है
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
उस 'येलेना' से मैं दुबारा नहीं मिल पाया, जिसकी मैंने चर्चा की थी। हालाँकि जब मैंने येलेना की कहानी आपको दुबारा सुनानी शुरू की थी, तब मैंने यही कहा था कि ताशकंद से लौटते हुए एयरपोर्ट पर नीली आँखों वाली जो लड़की मुझे मिली थी और जिसने मेरी मदद की थी, उसमें भी मुझे येलेना ही दिखी थी। चार दिन पहले मैंने येलेना की कहानी शुरू की थी और यह शुरुआत उसी मुलाकात के साथ हुई थी।
प्रेम रहित विवाह
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
कल देवघर पहुँचा। भोलेनाथ के दर्शन किए।
फिर सारे रास्ते येलेना की कहानी पर आपके कमेंट पढ़ता रहा। सोचता रहा उस फिल्मकार के बारे में जिसने 'प्यासा' और 'कागज' के फूल जैसी फिल्में बनाई थीं। दोनों फिल्में फ्लॉप साबित हुई थीं।
दूसरी बड़ी सभ्यता रोम
संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
जब आप मेरी पोस्ट पढ़ रहे होते हैं, मैं सातवें आसमान की सैर कर रहा होता हूँ। आप एक-एक पंक्ति पढ़ते हैं और मैं उस आसमान से आपके चेहरे की मुस्कुराहट को महसूस करता हूँ। फिर आप लाइक बटन दबाते हैं और मैं खुशी के मारे आसमान में ही नृत्य करने लगता हूँ। यही है प्यार।