Tag: राजनेता
सुबह लाठी, शाम चपाती …!!
तारकेश कुमार ओझा, पत्रकार :
न्यूज चैनलों पर चलने वाले खबरों के ज्वार-भाटे से अक्सर ऐसी-ऐसी जानकारी ज्ञान के मोती की तरह किनारे लगते रहती हैं, जिससे कम समझ वालों का नॉलेज बैंक लगातार मजबूत होता जाता है।
राजनीतिक दलों को पुरानी छूट पर नया बवाल
राजीव रंजन झा :
अचानक एक खबर आयी और नोटबंदी का विरोध करने वाले चेहरे मानो जीत के एहसास से खिल उठे - देखो, हम कहते थे ना कि काला धन रखने वाले नेताओं का कुछ नहीं बिगड़ेगा।
भीड़ के पीछे दूल्हा चलता है, सेनापति तो आगे चलता है
रत्नाकर त्रिपाठी :
बनारस की सड़क पर इतना बड़ा जमावड़ा देखे मुद्दत हो गयी थी। अद्भुत दृश्य था, अगर ये मेला होता, तो इसे बनारस की नाग-नथैया और नाटी-इमली के भरत-मिलाप की तरह लक्खा मेले का दर्जा मिल जाता। माँ गंगा की गोद में मूर्ति विसर्जन की माँग लेकर आबाल-वृद्ध सड़क पर थे। भीड़ की खूबसूरती ये थी कि 80 % लोग एक-दूसरे को जानते नहीं थे, लेकिन 'एक मांग-एक धुन', उन्हें आपस में माला के मोतियों की तरह पिरोये हुई थी।
तमाशों के बताशे खाइए!
कमर वहीद नकवी, वरिष्ठ पत्रकार :
क्या तमाशा है? इधर तमाशा, उधर तमाशा, यह तमाशा, वह तमाशा! और पूरा देश व्यस्त है तमाशों के बताशों में! तेरा तमाशा सही या उसका तमाशा सही? तेरी गाली, उसकी गाली, तेरी ताली, उसकी ताली, तू गाल बजा, वह गाल बजाये, तेरी पोल, उसकी पोल, कुछ तू खोल, कुछ वह खोले! और देश बैठ कर बताशे तोले कि चीनी कहाँ कम है? कौन कम गलत है? है न अजब तमाशा!
‘डांस आँफ डेमोक्रेसी’ में एक गजेन्द्र!
कमर वहीद नकवी , वरिष्ठ पत्रकार
यह ‘डांस आँफ डेमोक्रेसी’ है! लोकतंत्र का नाच! राजस्थान के किसान गजेन्द्र सिंह कल्याणवत की मौत के बाद जो हुआ, जो हो रहा है, उसे और क्या कहेंगे? यह राजनीति का नंगा नाच है।
फुटबाल, फतवा और ममता!
कमर वहीद नकवी, वरिष्ठ पत्रकार :
फुटबाल और फतवे का भला क्या रिश्ता? और कहीं हो न हो, लेकिन शासन अगर ममता बनर्जी का हो तो फुटबाल से फतवे का भी रिश्ता निकल आता है!