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भाजपा के राज-परिवार और शहजादे!

राजीव रंजन झा :
भारतीय जनता पार्टी अपने मुख्य प्रतिद्वंद्वी दल कांग्रेस को सबसे ज्यादा इसी बात पर चिढ़ाती है कि उसमें एक राज-परिवार है, एक रानी हैं, एक युवराज हैं और पूरी कांग्रेस इस परिवार से बाहर कुछ देख ही नहीं सकती।
क्या ईश-निंदा है आरक्षण पर विचार-विमर्श?

राजीव रंजन झा :
जब तक भेदभाव है, तब तक आरक्षण खत्म नहीं होगा। यह बात दलित नेत्री मायावती भी कहती हैं, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के तमाम नेता भी कहते हैं। संघ ने भी यही कहा है, हालाँकि संघ के प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य की एक टिप्पणी विवाद का केंद्र बनी है।
ब्राह्मणों को छोड़ कर सबको आरक्षण!
भाजपा के नेता सेट कर रहे बेटे-बेटियों को
राजीव रंजन झा :
कांग्रेस में नेहरू जी के बाद कौन? इंदिरा जी।
इंदिरा जी के बाद कौन? संजय जी।
संजय जी की विमान दुर्घटना में मौत, अब कौन? राजीव जी।
राजीव जी के बाद कौन? सोनिया जी।
सोनिया जी के बाद कौन? राहुल जी।
राहुल जी नहीं चल रहे तो साथ में या विकल्प के रूप में कौन? प्रियंका जी।
सपा के लठबाजी प्रहसन के फलितार्थ

राजीव रंजन झा :
उनके 'नेताजी' (हमारे नेताजी तो एक ही हैं, आजादी से पहले वाले) भी पार्टी में हैं। चच्चा भी पार्टी में हैं। चच्चा चुनाव भी लड़ेंगे। सबकी सूचियों का भी मिलान हो रहा है, सबका मान रखा जा रहा है। पार्टी भी एक है। चुनाव चिह्न भी सलामत है। बस बीच में डब्लूडब्लूई स्टाइल में जबरदस्त जूतमपैजार की नौटंकी से जनता का दिल खूब बहलाया गया। इस नौटंकी के नतीजे -
राजनीतिक दलों को पुरानी छूट पर नया बवाल

राजीव रंजन झा :
अचानक एक खबर आयी और नोटबंदी का विरोध करने वाले चेहरे मानो जीत के एहसास से खिल उठे - देखो, हम कहते थे ना कि काला धन रखने वाले नेताओं का कुछ नहीं बिगड़ेगा।
तेरे ‘मासूम’ सवालों से हैरान हूँ मैं

राजीव रंजन झा :
मध्य प्रदेश की भोपाल जेल से भागे आठ आतंकवादियों की मुठभेड़ में हुई मौत के बाद तमाम राजनीतिक दल और कथित रूप से उदार विचारधारा वाले लोगों की तरफ से सवालों की बौछार शुरू हो गयी है। सवाल पूछने वालों की नीयत चाहे जो भी हो, मध्य प्रदेश सरकार को इन सवालों के जवाब जरूर देने चाहिए।
कश्मीरी दोस्तों के नाम एक खुला खत

राजीव रंजन झा :
आपको बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। मानते हैं। आपके जो पड़ोसी थे ना, वे भी बहुत मुश्किल दौर से गुजरे हैं। मालूम है ना आपको? शायद अपनी ही आँखों से देखा भी हो, अगर उनके साथ होने वाले अपराधों में हिस्सेदार नहीं थे तब भी?
अदालत में तार्किक अंजाम तक पहुँचे डिग्री विवाद

राजीव रंजन झा :
चाहे प्रधानमंत्री बनना हो या दिल्ली के आधे-अधूरे राज्य की विधानसभा का सदस्य बनना, उसके लिए कोई डिग्री आवश्यक नहीं है। लेकिन यदि कोई चुनावी प्रक्रिया में झूठा शपथपत्र दाखिल करे तो यह एक गंभीर मसला हो जाता है।
राजनीति भूल गये मोदी जी!

राजीव रंजन झा :
इतना भी काम मत कीजिए मोदी जी। काम में उलझ कर राजनीति भूल गये हैं नरेंद्र मोदी।
जी हाँ। गुजरात के मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए नरेंद्र मोदी ने काम भी जम कर किया, और राजनीति भी जम कर की। विरोधियों के फेंके पत्थरों को चुन-चुन कर अपना राजनीतिक महल बनाते रहे। मगर दिल्ली आ कर शायद यह कला भूल गये मोदी।