Friday, November 22, 2024
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न्याय क्या सबके लिए बराबर है?

कमर वहीद नकवी, वरिष्ठ पत्रकार :  

बड़ी-बड़ी अदालतें हैं। बड़े-बड़े वकील हैं। बड़े-बड़े कानून हैं। और बड़े-बड़े लोग हैं। इसलिए छोटे-छोटे मामले अक्सर ही कानून की मुट्ठी से फिसल जाते हैं! साबित ही नहीं हो पाते! और लोग चूँकि बड़े होते हैं, इतने बड़े कि हर मामला उनके लिए छोटा हो ही जाता है! वैसे कभी-कभार ऐसा हो भी जाता है कि मामला साबित भी हो जाता है। फिर? फिर क्या, बड़े लोगों को बड़ी सज़ा कैसे मिले? इसलिए सजा अक्सर छोटी हो जाती है! और अगर कभी-कभार सजा भी पूरी मिल जाये तो? तो क्या? पैरोल पर एक कदम जेल के अन्दर, दो कदम जेल के बाहर! वह भी न हो सके तो अस्पताल तो हैं ही न!

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