Tag: रोम
इंसान सोच से ऊँचा होता है
संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
पोप जॉन पॉल द्वितीय 1999 में भारत यात्रा पर आये थे। मैं उन दिनों जी न्यूज में रिपोर्टिंग करता था और मेरी ड्यूटी पोप के साथ लगायी गयी थी। पोप अपनी दिल्ली यात्रा में पालम स्थित सेना हवाई अड्डे पर उतरे थे और वहीं से मेरी रिपोर्टिंग शुरू हुई थी। सफेद लिबास में लिपटे, सिर पर छोटी सी टोपी लगाए पोप अपने विशेष विमान से दिल्ली पहुँचे थे।
मौन और मुस्कुराहट
संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
नीरो कभी बाँसुरी नहीं बजाता था। उसे बाँसुरी बजानी भी नहीं आती थी। जिसे बाँसुरी बजानी आयेगी, वह नीरो नहीं हो सकता।
जीओ और जीने दो
संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
मेरे मन में हमेशा से था कि अगर मैं कभी इटली आया तो कोलेजियम जरूर जाऊँगा, जहाँ ईसा पूर्व कई सौ वर्ष पहले बने उस स्टेडियम में जरूर जाऊँगा, जहाँ ग्लैडिएटर्स कहे जाने वाले योद्धा जमींदारों की मौज के लिए मरने को लड़ते थे। मैं इटली के रोम आया तो शहर के बीच मौजूद पवित्र देश वैटिकन की यात्रा पर सबसे पहले पहुँचा, फिर मैं उस कब्रगाह में भी गया, जहाँ पहली और दूसरी सदी में मसीहियों के शवों को दफनाया जाता था। जमीन से कई मंजिल नीचे बने इस कब्रगाह की कहानी बेहद दिलचस्प है, लेकिन अभी मैं आपको अपने साथ लिए चलता हूँ उस स्टेडियम में, जिसमें दरअसल रोम शहर का रोम-रोम बसा है।
दूसरी बड़ी सभ्यता रोम
संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
जब आप मेरी पोस्ट पढ़ रहे होते हैं, मैं सातवें आसमान की सैर कर रहा होता हूँ। आप एक-एक पंक्ति पढ़ते हैं और मैं उस आसमान से आपके चेहरे की मुस्कुराहट को महसूस करता हूँ। फिर आप लाइक बटन दबाते हैं और मैं खुशी के मारे आसमान में ही नृत्य करने लगता हूँ। यही है प्यार।