Saturday, August 9, 2025
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प्रेम करना नहीं होता, उसे बस जीना होता है

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :

एक नौजवान ने मुझसे गुहार लगायी है कि मैं उसकी समस्या को ध्यान से समझूं और फिर उसका हल बताऊं। उसने मुझ पर लानत भेजी है कि मैं सिर्फ सास-बहू, पति-पत्नी और आदमी से आदमी के रिश्तों की कहानियाँ लिखता हूँ। और जिस दिन खुश होता हूँ, अपनी प्रेम कहानी लिख देता हूँ। पर आज की नयी पीढ़ी की समस्या की ओर किसी का ध्यान नहीं जाता।

प्यार में पड़ी लड़की हजार मर्दों से अधिक शक्तिशाली

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :

मैंने जितनी बार भी फिल्म देवदास देखी है, मेरे मन में ये सवाल उठा है कि पुरुष प्रेम में कायर क्यों हो जाता है? 

‘उम्मीद’ की ज्योति जलाएं

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :

मेरी आज की पोस्ट पढ़ने से पहले आप उस तस्वीर को देखिएगा, जिसमें लड़की ने अपने मुँह पर नकाब बाँध रखा है। 

यमराज के चंपू से लोहा लें

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :

कल मैंने नोएडा के एक मॉल में खाना खाते हुए उत्तराखंड के एक आईएएस अधिकारी की हृदयघात से मौत की कहानी लिखी थी। मैंने आपसे अनुरोध किया था कि आप मेरी इस कहानी को जितने लोगों तक पहुँचा सकें, पहुँचा दें।

मार्गदर्शक बनें, रिंग मास्टर नहीं

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :

हमारी बारहवीं की परीक्षा खत्म हो चुकी थी और आखिरी पेपर के बाद हम ढेर सारे बच्चे सिनेमा देखने गये थे। शाम को घर आये तो पिताजी ने कहा था कि अब तो तुम्हारी कई दिनों की छुट्टियाँ है, तुम बुआ के घर चले जाओ, वहाँ तुम्हारा मन लगेगा। 

प्रेम करने वाला सबको संग लेकर चलते हैं

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :

मेरी नौकरी पहले लगी थी, पत्रकारिता की पढ़ाई में दाखिला बाद में मिला था। जिन दिनों मैं पत्रकारिता की पढ़ाई कर रहा था, एक लड़की से मेरी दोस्ती हुई। मेरी तरफ से दोस्ती सिर्फ दोस्ती तक सीमित थी, लेकिन अक्सर लड़कियाँ दोस्ती, प्रेम और शादी तीनों की चाशनी बना लेती हैं। उसने भी ऐसा ही किया और जिस दिन कॉलेज में मेरा आखिरी दिन था वो मेरे पास शादी का प्रस्ताव लेकर पहुँच गयी। 

जिन्दगी की उम्मीद

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :

आज मुझे मिलना है जबलपुर के विराट हॉस्पिस में कैंसर के उन मरीजों से जिन्हें डॉक्टरों ने कह दिया है कि अब दवा नहीं सिर्फ दुआ का आसरा है। 

वादे इसीलिए करते हैं ताकि उन्हें पूरा कर सकें

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक : 

मेरे दफ्तर में कल एक लड़की मेरे पास आयी और उसने मुझसे पूछा कि आप किसी की शादी में शामिल होने पटना गये थे? 

“हाँ, मैं अपनी एक दोस्त के बेटे की शादी में शामिल होने पटना गया था।” 

रिश्ते मन के भाव से सुधरते हैं

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक : 

कल रात मुझे एक लड़की ने फोन किया और रोने लगी। मैं बहुत देर तक समझ नहीं पाया कि आखिर माजरा क्या है। मैं चुपचाप उस तरफ से रोने की आवाज सुनता रहा, फिर जब वो जरा शांत हुई, तो मैंने पूछा कि आप कौन हैं और क्यों रो रही हैं?

परंपराओं की जंजीरों में जकड़ी लड़कियाँ

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक : 

आइए आज आपको एक लड़की से मिलवाता हूँ। 

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