Tag: विचार
प्यार दो, प्यार लो
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
जबलपुर जाने का मतलब है कहानियों के संसार की यात्रा पर निकलना। एक कहानी खत्म हुई नहीं कि दूसरी शुरू। अब वहाँ कदम संस्था वालों ने इतने पेड़ लगा दिए हैं कि प्रकृति जबलपुर की मिट्टी चूमने लगी है। आसमान बादलों को मुहब्बत का पैगाम लेकर धरती के पास भेजने लगा है। ऐसा ही परसों हुआ था जब दिल्ली से उड़ा विमान जबलपुर एयरपोर्ट पर उतरने से घबराता रहा कि वहाँ तो धरती से मिलने बादल नीचे उतर आये हैं।
दीनदयाल उपाध्याय होने का मतलब
संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय :
राजनीति में विचारों के लिए सिकुड़ती जगह के बीच पं. दीनदयाल उपाध्याय का नाम एक ज्योतिपुंज की तरह सामने आता है। अब जबकि उनकी विचारों की सरकार पूर्ण बहुमत से दिल्ली की सत्ता में स्थान पा चुकी है, तब यह जानना जरूरी हो जाता है कि आखिर दीनदयाल उपाध्याय की विचारयात्रा में ऐसा क्या है जो उन्हें उनके विरोधियों के बीच भी आदर का पात्र बनाता है।
जागिए, मैगी ने झिंझोड़ कर जगाया है!
कमर वहीद नकवी , वरिष्ठ पत्रकार :
मैगी रे मैगी, तेरी गत ऐसी! क्या कहें? सौ साल से नेस्ले कम्पनी देश में कारोबार कर रही थी! दुनिया की जानी-मानी कम्पनी है।