Tag: विधानसभा चुनाव
महागठबंधन की किलेबंदी में दरारें

संदीप त्रिपाठी :
बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव की दृष्टि से हालात रोमांचक होते जा रहे हैं। सीध-सीधे दो खेमे दिख रहे हैं। लोकसभा चुनाव में भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की बढ़त से घबराये जनता दल यू नेता नीतीश कुमार ने विधानसभा की जंग जीतने के लिए हरसंभव रणनीति अपनायी। जिस लालू प्रसाद यादव के विरोध के आधार पर अपनी छवि गढ़ी, उसी लालू यादव से हाथ मिला लिया, महागठबंधन के तहत 140 से ज्यादा सीटों पर लड़ने की जिद छोड़ महज 100 सीटों पर लड़ने का समझौता कर लिया।
बिहार में कार्यकर्ताओँ के हाथ में बाजी

संदीप त्रिपाठी :
बिहार के विधानसभा चुनाव अक्टूबर-नवंबर में होंगे, ऐसे संकेत हैं। अभी कोई ऐलान नहीं हुआ है लेकिन चुनाव आयोग की तैयारियाँ ऐसी ही हैं। सियासी दल तो कब से इसी संकेत के इंतजार में बैठे थे। मुख्य चुनाव आयुक्त तो अगस्त के पहले हफ्ते में चुनावी तैयारियों का जायजा लेने बिहार का दौरा करेंगे लेकिन सियासी दल इससे पहले ही चुनाव प्रचार में जुट गये हैं।
भाजपा की मजबूती से डर कर एकजुट हुए लालू नीतीश : शाहनवाज

राजीव रंजन झा :
बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए राजद-जदयू-कांग्रेस गठबंधन की ओर से नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित किये जाने के बाद भाजपा की ओर से अब तक स्थिति साफ नहीं है कि वह बिहार के चुनाव में नेतृत्व का चेहरा घोषित करेगी या नहीं।
नीतीश के लिए चुनौती, लालू के लिए अवसर

श्रीकांत प्रत्यूष, संपादक, प्रत्यूष नवबिहार :
जेपी के दायें-बाएँ खड़े रहनेवाले उनके दोनों चेले लालू-नीतीश सत्ता के लिए आपस में पिछले दो दशक से लड़ते रहने के वावजूद अगर आज एकसाथ खड़े हैं तो बिहार की राजनीति तो बदलेगी ही।
शीला दीक्षित की ना से भंवर में दिल्ली कांग्रेस

शिव ओम गुप्ता :
राजधानी दिल्ली में कांग्रेस का स्यापा खतम होने का नाम नहीं ले रहा है। दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और केरल की पूर्व राज्यपाल शीला दीक्षित ने झटका देते हुये कहा है कि वह आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार नहीं बनेंगी। यही नहीं, उन्होंने यहाँ तक कहा है कि उनके परिवार को कोई भी सदस्य नई दिल्ली सीट से विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेगा।
झारखंड : क्या है बढ़े मतदान प्रतिशत के मायने

संदीप त्रिपाठी, वरिष्ठ पत्रकार :
बिहार से अलग हुए राज्य झारखंड में नयी विधानसभा के लिए तीन चरण के मतदान हो चुके हैं। वर्ष 2009 के मुकाबले इस बार मतदान प्रतिशत 6-8% बढ़ा हुआ दिख रहा है। इसके मायने क्या हैं? इस बार पहले चरण में 61.92%, दूसरे चरण में 64.68% और तीसरे चरण में 60.89% मतदान हुआ। इसके मुकाबले पिछली बार औसतन 55% वोट पड़े थे।