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हमार बैलगाड़ी सबसे अगाड़ी… जोगिंदर सिंह अलबेला की याद
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
हमार बैलगाड़ी सबसे अगाड़ी...सड़किया पे गाड़ी हमार बैलगाड़ी
चलल जाला चलल जाला चलल जाला.. सड़किया पे गाड़ी हमार बैलगाड़ी
हट हट हट हट....
आकाशवाणी पटना से फरमाईशी लोकगीतों की सूची में अस्सी के दशक में यह बड़ा ही लोकप्रिय माँग वाला गीत होता था। जब रेडियो पर ये गाना बजता था तो ऐसी जीवंत अनुभूति होती थी मानो हमारी आँखों के सामने झूमती हुई बैलगाड़ी जा रही हो। गीत के पूरे बोल अब मुझे याद नहीं हैं पर इसमें एक झूमती हुई बैलगाड़ी के सड़क पर सफर का मस्ती भरा चित्रण था। तब हम इसके गायक का नाम पर ध्यान नहीं देते थे पर गीत को बडे मनोयोग से सुना करते थे।
ऑड-ईवन की माया
संजय कुमार सिंह, संस्थापक, अनुवाद कम्युनिकेशन :
कल मुझे वैशाली से आनंद विहार स्टेशन जाना था। कहने को आनंद विहार वैशाली से करीब है पर जाना कितना मुश्किल यह कल ही समझ में आया। मेरे टैक्सी वाले ने मना कर दिया। उसके पास ईवन (प्राइवेट) नंबर की गाड़ी (जो मैं लेता हूँ) थी ही नहीं, दूसरा विकल्प ओला टैक्सी होता है। मैं नहीं लेता। सो मैंने बेटे से कहा कि बुक करो तो उसने बताया कि ओला ने घोषित कर रखा है कि माँग औऱ पूर्ति में अंतर के कारण वह ज्यादा किराया वसूलेगा।
लोकदेवता – पशुपालकों के पूज्य भुइंया बाबा
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
उत्तर बिहार के वैशाली जिला ही नहीं बल्कि इसके आसपास के जिले के लोगों के बीच भुइंया बाबा काफी लोकप्रिय हैं। आस्था ऐसी है कि भुइंया बाबा इस क्षेत्र में लोक देवता की बन चुके हैं।