Tag: शहाबुद्दीन
चुन लीजिए, आपको क्या चाहिए!
क़मर वहीद नक़वी, पत्रकार :
पहला सवाल : अगर किसी सरकारी कर्मचारी, अफसर या न्यायिक अधिकारी को किसी अपराध के लिए सजा मिलती है, तो वह तो अपनी नौकरी पर कभी वापस नहीं रखा जा सकता, तो फिर ऐसा ही पैमाना राजनेताओं के लिए क्यों नहीं अपनाया जाना चाहिए? सजायाफ्ता नेता पर आजीवन रोक क्यों नहीं लगनी चाहिए?
सोशल मीडिया पर क्रांतिदूतों से डर
यशवंत राना:
नींद कभी-कभी जरूरी होती है और बहुत अच्छी लगती है। आज दिनभर सोता रहा और बस सोता ही रहा। कभी जगा भी तो जरूरत भर का काम करके फिर सो गया। अब भी शर्म से रोक रखा है कि यार ये भी क्या है ! समय की लाज भी तो कोई चीज होती है! उसके लिए ही कुछ कर लो। थोड़ा लिख-पढ़ लो। इतना सोने के बाद फिर सोना भी क्या सोना है!
चीफ जस्टिस साहब, चंद्र बाबू की आँखें ढूँढ़ रही हैं आपको!
अभिरंजन कुमार, पत्रकार :
बताइए तो एक शरीफ आदमी को इतने-इतने साल जेल में रखना कहाँ तक मुनासिब है? जिन लोगों ने भी शहाबुद्दीन साहब की जमानत और रिहाई का रास्ता प्रशस्त किया, वे तमाम लोग संयुक्त रूप से अगले भारत रत्न के हकदार हैं। इनमें मैं जमानत देने वाले उन जज साहब की भी पैरवी कर रहा हूँ, न्याय का माथा ऊँचा करने में जिनके उल्लेखनीय योगदान की कोई चर्चा ही नहीं कर रहा।