Tag: शादी
लजीज खोवा का रामदाना और खाजा

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार:
अगर आप बिहार गये हैं और सिलाव का प्रसिद्ध खाजा खाने की इच्छा है और सिलाव नहीं जा सकते तो कोई बात नहीं। कभी पटना के म्यूजिम रोड पर पहुंचिए। यहाँ पर संग्रहालय के सामने खाजा की कई दुकानें एक साथ दिखाई देंगी।
प्रेम पाने का एक मात्र उपाय है कि प्रेम करो

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
इस कहानी को लिखने से पहले मैंने कम से कम हफ्ता भर इंतजार किया है। चाहता तो एक हफ्ता पहले ही पूरी कहानी आपको सुना सकता था। महीना भर पहले मैं अपनी उस परिचित के घर गया था, जिनकी बेटी की शादी कुछ ही दिन पहले हुई है। शादी खूब धूम-धाम से हुई थी, लेकिन शादी के बाद ससुराल में अनबन शुरू हो गयी। जरा-जरा सी बात पर झगड़े होने लगे। मेरे पास लड़की की माँ का फोन आया था कि सोनू की उसके ससुराल में नहीं बन रही।
प्रेम रहित विवाह

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
कल देवघर पहुँचा। भोलेनाथ के दर्शन किए।
फिर सारे रास्ते येलेना की कहानी पर आपके कमेंट पढ़ता रहा। सोचता रहा उस फिल्मकार के बारे में जिसने 'प्यासा' और 'कागज' के फूल जैसी फिल्में बनाई थीं। दोनों फिल्में फ्लॉप साबित हुई थीं।
विजयवाड़ा से वासवीधाम की ओर एनएच 5 पर

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
मैं विजयवाड़ा रेलवे स्टेशन सही समय पर पहुँच चुका था। यहाँ से आगे मुझे पहुँचना है वासवी धाम, पेनुगोंडा जो राजामुंदरी के पास है। शादी में शामिल होना है। रत्नाराव जी के बेटे बालगंगाधर की। रत्नाराव जी के लिए हम परिवार के सदस्य की तरह हैं। साल 2007 में हैदराबाद के वनस्थलीपुरम में उनके घर रहने के बाद एक रिश्ता बन गया।
साड़ी नहीं पौधे माँगें

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
“माँ, ये लाल वाला लहंगा मेरी शादी के लिए खरीद लो।”
प्रेम करने वाला सबको संग लेकर चलते हैं

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
मेरी नौकरी पहले लगी थी, पत्रकारिता की पढ़ाई में दाखिला बाद में मिला था। जिन दिनों मैं पत्रकारिता की पढ़ाई कर रहा था, एक लड़की से मेरी दोस्ती हुई। मेरी तरफ से दोस्ती सिर्फ दोस्ती तक सीमित थी, लेकिन अक्सर लड़कियाँ दोस्ती, प्रेम और शादी तीनों की चाशनी बना लेती हैं। उसने भी ऐसा ही किया और जिस दिन कॉलेज में मेरा आखिरी दिन था वो मेरे पास शादी का प्रस्ताव लेकर पहुँच गयी।
छिपाए गए सच में आदमी टूट कर गिरता है

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
मैं अपनी माँ से पूछा करता था कि माँ, आपकी शादी पिताजी से कैसे हुई?
माँ अपनी शादी को ईश्वरीय विधान बताती। कहती कि भगवानजी आये थे और उन्होंने सब तय कर दिया। बहुत से बच्चों की तरह मेरे मन में भी कौतूहल जगता कि माँ की शादी वाली तस्वीरों में मैं कहीं क्यों नहीं हूँ? माना कि मैं छोटा बच्चा रहा होऊँगा और मुमकिन है कि सो रहा होऊँगा, पर एक दो तस्वीरों में तो मुझे होना ही चाहिए था।
एक मराठी शादी में….बारी बरसी खटन गया सी…

विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
फरवरी 16 साल 2016 की सुबह हमारा पुणे जाना हुआ था शादी में शामिल होने के लिए। शादी किसकी। हमारी साली साहिबा की। वे रेडियोलॉजिस्ट हैं। पटना की हैं पर मुंबई में रहते हुए उन्होंने अपने लिए मराठी दूल्हा ढूँढा। तो शादी की सारी रश्में मराठी रीति रिवाज से होनी थी।
रिश्ते दिल मिला कर बनते हैं

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
मेरी शादी तय हो चुकी थी। मुझे पता था कि मेरी होने वाली पत्नी का नाम दीपशिखा है। पर आगे क्या?
हम अंदर की कमजोरियाँ हारते हैं

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
मेरी एक परिचित ने मुझे बताया कि उनकी बेटी, जिसकी शादी उन्होंने कुछ ही दिन पहले एक अमीर घर में की थी, वो किसी और से प्यार करने लगी है। जाहिर है शादी के बाद बेटी का किसी और से प्यार करना मेरी परिचित को नागवार गुजर रहा है। उन्होंने अपनी तकलीफ मुझसे साझा की। उनकी तकलीफ अब मेरी तकलीफ बन गयी है। मैं सारी रात सोचता रहा कि मैं इस विषय पर लिखूँ या नहीं।