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शिलांग से दिल्ली वाया गुवाहाटी
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार:
शिलांग में दूसरे दिन गैरोटो चेपल चर्च, लेडी हैदरी पार्क और एयरफोर्स म्युजिम देख लेने के बाद अनादि और माधवी को भूख लग गई थी। सुबह का नास्ता तो हमने होटल के पास पूरी सब्जी वाले के पास कर लिया था।
युद्ध में बहादुरी की दास्तां बयां करता एयरफोर्स म्यूजियम
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार:
लड़ाकू विमान हंटर के साथ जिसने पाकिस्तान के साथ दो युद्धों में जलवा दिखाया....
इको पार्क – श्वेत निर्मल जल का सुमधुर संगीत
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार:
शिलांग से चेरापूंजी के रास्ते में आप कई खूबसूरत झरने देखते हुए आगे बढ़ते हैं। वाहकाबा फाल्स में जैसे झरने आपने देखे उसका बड़ा रूप इको पार्क में देखने को मिलता है।
बादलों के संग संग.. चेरापूंजी की राह पर
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार:
चेरापूंजी के रास्ते में हमारा पहला पड़ाव था मॉकडोक ब्रिज। इससे पहले शिलांग शहर से बाहर निकलते ही चेरापूंजी का सुहाना रास्ता आनंदित करने लगा था। चटकीली धूप में गरमी बिल्कुल नहीं लग रही थी।
एक बार फिर …गुवाहाटी से शिलांग
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार:
गुवाहाटी से शिलांग के बीट नूंगपो में सुबह सुबह...
यह संयोग ही है कि साल 2016 में दूसरी बार गुवाहाटी से शिलांग जा रहा हूँ। एक जनवरी के बाद एक बार फिर अक्तूबर में। ढिब्रूगढ़ इंटरसिटी गुवाहाटी शहर में प्रवेश कर रही है और साथ साथ सुबह का उजाला हो रहा है।
कब बजेगी शिलांग में रेल की सिटी
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
वह साल 2014 में 29 नवंबर का दिन था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मेघालय के लिए पहली ट्रेन को झंडी दिखा कर रवाना किया। इसके साथ ही आजादी के छह दशक से अधिक समय बाद मेघालय देश के रेल नक्शे पर आ गया।
युद्ध में बहादुरी की दास्ताँ बयाँ करता एयरफोर्स म्यूजियम
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
मेघालय की राजधानी शिलांग भ्रमण के दौरान वायु सेना म्युजियम देखना न भूलें। वास्तव में शिलांग में वायु सेना के ईस्टर्न कमांड (पूर्वी कमांड) का मुख्यालय है। पूरे देश में वायु सेना के पाँच कमांड हैं। इसकी स्थापना 1958 में हुई थी। इस कमांड का युद्ध और शांति दोनों की काल में बहुत बड़ा योगदान रहता है। युद्ध के समय आर्मी को हर तरीके से मदद करना तो शांति काल में फंसे हुए लोगों की मदद करने में वायु सेना की बड़ी भूमिका रहती है।
शिलांग की चोटी- यहाँ से शहर को देखो
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
लेटकोर पीक यानी शिलांग पीक। यहाँ से पूरे शिलांग शहर का नजारा देखना अदभुत अनुभव है। चोटी से जो विहंगम नजारा दिखायी देता है उसे आप कभी भूल नहीं सकते। वास्तव में ये शिलांग की सबसे ऊँची जगह है।
हरे-भरे पार्कों का शहर शिलांग
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
वार्ड लेक पार्क, बोटानिकल गार्डन, लेडी, हैदरी पार्क, एलिफैंट फाल्स पार्क जैसे तमाम सुंदर पार्कों से सुसज्जित शिलांग शहर को पार्कों का शहर कहें तो गलत नहीं होगा। इन पार्कों में सुबह की हवा दिलोदिमाग को काफी सुकुन पहुँचाती है।
पलटन बाजार से पुलिस बाजार तक
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
गुवाहाटी से मेघालय की राजधानी शिलांग की दूरी सड़क मार्ग से तकरीबन 90 किलोमीटर है। नेशनल हाईवे नंबर 40 दोनों शहरों को जोड़ती है। यह सड़क अब हर मौसम के लिए मुफीद है। अगर आप बिना रूके चलें तो दो से ढाई घंटे में शिलांग पहुँच जाते हैं। गुवाहाटी रेलवे स्टेशन पलटन बाजार वाले बस स्टैंड के आसपास से शिलांग के लिए टैक्सी और सूमो आदि मिलती हैं। अगर आप छोटी टैक्सी शेयरिंग में करते हैं तो किराया 300 रुपये है और सूमो में किराया 170 रुपये प्रति व्यक्ति है।