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बदलाव ही जीवन है

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
दशहरा के महीना भर पहले हमारे घर में सुगबुगाहट शुरू हो जाती थी। मुझे नहीं पता कि घर के बाकी लोग दशहरा का इंतजार क्यों करते थे, पर मैं दशहरा का इंतजार नहीं करता था। माँ सुबह से ही ढेर सारी खाने-पीने की चीजें बनाने में जुट जाती, पिताजी पूजा की तैयारी करते। लेकिन दशहरा का दिन मेरे लिए उदासी का सबब होता। हालाँकि दशहरा पर नये कपड़े पहनने को मिलते थे, पर मेरा मन यह सोच कर उदास रहता कि आज दुर्गा जी की मूर्ति उठ जाएगी, आज उसे नदी में बहा दिया जाएगा और पिछले नौ दिनों से जो उत्सव चल रहा था, वो खत्म हो जाएगा।
प्यार, परवाह और भरोसा

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
पिछले हफ्ते हम अपनी बहन के ससुर के श्राद्ध में शामिल होने के लिए पटना गये थे। हम यानी मैं और मेरी पत्नी।
बाड़ ही अब खेत खाने लगी

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
करीब पंद्रह साल पहले मेरी एक परिचित के पेट में बहुत तेज दर्द उठा। वो भाग कर दिल्ली के एक बहुत बड़े अस्पताल में पहुँच गयीं। वहाँ डॉक्टरों ने पूरी जाँच की और बताया कि उन्हें एपेंडिसाइटिस की समस्या है और फौरन ऑपरेशन करना पड़ेगा। एपेंडिसाइटिस की समस्या बहुत आम समस्या है। अपेंडिक्स आंत का एक टुकड़ा है। इसे डॉक्टरी भाषा में एपेंडिसाइटिस कहते हैं।
बहू भी सास बनेगी

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
जब भी मैं सास-बहू की कहानी लिखता हूँ और उसमें लिखता हूँ कि बहू ने सास को सताया, सास को किसी आश्रम में जाना पड़ा, तो मेरे पास ढेर सारे संदेश आने शुरू हो जाते हैं। ज्यादातर संदेश बहुओं के होते हैं। सबकी शिकायत करीब-करीब एक सी होती है।
बेटा, जी लो जिन्दगी

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
यह कहानी किसी की आप बीती हो सकती है।
बिहार में सत्ता बदलनी चाहिए

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
अपने दोस्तों से जब मैं बिहार की दुर्दशा की चर्चा करता हूँ और कहता हूँ कि अब बिहार में सत्ता बदलनी चाहिए, तो मेरे साथी मेरी ओर हैरत भरी निगाहों से देखने लगते हैं, और पूछने लगते हैं कि संजय सिन्हा, कहीं तुम भाजपाई तो नहीं हो गये?
बदल गया बिहार

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
एक श्राद्ध में शामिल होने के लिए मुझे दिल्ली से पटना आना पड़ा। पटना इन दिनों चुनावी रंग में रंगा है। अब चुनाव से मेरा क्या लेना देना? एयरपोर्ट से होटल तक पूरा शहर तरह-तरह के चुनावी पोस्टरों से पटा पड़ा है। कहीं लिखा है, “अबकी बार, नीतीश कुमार” तो कहीं लिखा है, “बदलेगा बिहार, बदलेगी सरकार।”
आत्मा का नुकसान

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
अभी-अभी पटना के लिए उड़ना है। फिलहाल एयरपोर्ट पर बैठा हूँ। पहले से तय करके आया था कि आज एयरपोर्ट पर बैठ कर कॉफी के साथ कहानी लिखूँगा। सोचा तो यह भी था कि आज प्यार और जलन की कहानी लिखूँगा। लिखूँगा कि जैसे हम जानते हैं कि हमें किससे प्यार करना है, उसी तरह हमें यह जानना चाहिए कि हमें किससे जलना चाहिए।
हुक्मरान चला रहे अपनी दुकान

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
छोड़िए उस आज उस राजा की कहानी को, जिसने मुनादी पिटवाई थी कि मेरा सब ले जाओ। आज कहानी सुनाता हूँ, उन चार दोस्तों की जिन्होंने मिल कर बिजनेस करने की ठानी थी।
गोश्त

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
आज जो कहानी मैं लिख रहा हूँ, वो मुझे नहीं लिखनी थी। आज मेरे मन में था कि मैं उस राजा की कहानी आपको सुनाऊँगा, जिसने एक दिन मुनादी पिटवा कर अपना सब कुछ लुटा दिया था।









