Thursday, November 21, 2024
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भाजपा में स्वामी प्रसाद, कितनी मजबूरी-कितनी रणनीति

संदीप त्रिपाठी :

बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती पर आरोपों की झड़ी लगा कर 22 जून को पार्टी छोड़ने वाले उनके विश्वस्त रहे स्वामी प्रसाद मौर्य आखिरकार भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गये। यानी डेढ़ महीने की मशक्कत के बाद स्वामी प्रसाद को भाजपा में जगह मिली।

कोकराझार कांड से सबक लेंगे सोनेवाल!

संदीप त्रिपाठी :         

असम के कोकराझार के भीड़भाड़ वाले दो बाजारों में हुए हमलों में 14 लोग मारे गये। एक रिपोर्ट में बताया गया एनआईए ने इस संबंध में पहले ही इनपुट उपलब्ध करा दिये थे। फिर इसे रोकना संभव क्यों नहीं हुआ? एक खबर आ रही है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने मोर्चा संभाल लिया है।

क्या गुल खिलायेगी कांग्रेस की अँगड़ाई

संदीप त्रिपाठी :

उत्तर प्रदेश पूरी तरह से चुनावी मोड में आ चुका है। कांग्रेस ने हिंदी हृदय प्रदेश में अपना अस्तित्व बचाने के लिए अपनी पूरी ऊर्जा झोंक दी है। इस क्रम में बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने रोड शो किया। यह कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की स्टाइल है। शिखर पर जाना है तो सबसे मजबूत से लड़ो। नि:संदेह उत्तर प्रदेश से अगर प्रधानमंत्री हैं और लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी ने इस सूबे की 80 में से 73 (भाजपा-71, अपना दल-2) सीटों पर कब्जा किया हो तो प्रधानमंत्री की सीट शक्ति की सबसे बड़ी प्रतीक तो मानी ही जायेगी।

बसपाइयों के शर्मनाक कृत्य पर सियासी बेशर्मी

संदीप त्रिपाठी :

भाजपा से बर्खास्त दयाशंकर सिंह ने मायावती पर बहुत गलत टिप्पणी की थी। भाजपा ने तत्काल इसके लिए उन्हें दंडित किया। सभी ने दयाशंकर की निंदा की। उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हो गयी और पुलिस उनकी तलाश कर रही है, वे फरार हैं। बलिया निवासी दयाशंकर लखनऊ विश्वविद्यालय की छात्र राजनीति की उपज हैं। छात्र संघ के अलावा कहीं कोई चुनाव जीत नहीं सके। यानी आप मान सकते हैं कि अभी राजनीतिक वयस्कता की दृष्टि से दयाशंकर बालिग नहीं हैं। फिर भी उन्होंने मायावती पर जो अपमानजनक टिप्पणी की, उसका उन्हें दंड मिला।

भाजपा में कैसे जगह पाते हैं दयाशंकर जैसे लोग

संदीप त्रिपाठी :

उत्तर प्रदेश भाजपा के नवनियुक्त उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह बसपा सुप्रीमो मायावती पर अभद्र टिप्पणी करके न सिर्फ अपनी कुर्सी गवाँ बैठे बल्कि उन्हें पार्टी से भी छह साल के लिए निष्कासित कर दिया गया। लखनऊ के हजरतगंज थाने में उन पर एससी-एसटी एक्ट समेत कई धाराओं में प्राथमिकी भी दर्ज कर ली गयी है।

तो अब सिद्धू भैया का करिहैं…

संदीप त्रिपाठी :

नवजोत सिंह सिद्धू अब क्या करेंगे? पूर्व क्रिकेटर, कमेंटेटर, कॉमेडी शो जज और भाजपा नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। उनकी पत्नी नवजोत कौर सिद्धू, जो पंजाब में भाजपा विधायक और संसदीय सचिव थीं, उन्होंने भी अपने पदों से इस्तीफा दे दिया है। हालाँकि अभी इन दोनों ने भाजपा की सदस्यता से इस्तीफा नहीं दिया है लेकिन इनके आम आदमी पार्टी में जाने के कयास खूब लग रहे हैं। सवाल यह है कि अब सिद्धू क्या करेंगे?

अरुणाचल प्रकरण : अपने खोदे गड्ढे में खुद गिरी भाजपा

संदीप त्रिपाठी :

अरुणाचल प्रदेश प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से भारतीय जनता पार्टी की किरकिरी हुई है। भाजपा इस किरकिरी के ही लायक है। वैसे तो इस किरकिरी के लायक कांग्रेस समेत अन्य सभी राजनीतिक दल हैं लेकिन चूँकि कांग्रेस इस फैसले की लाभार्थी है, इसलिए वह अभी मस्त है।

राज बब्बर यूपी में कांग्रेस के लिए कौन से समीकरण साधेंगे

संदीप त्रिपाठी :

उत्तर प्रदेश में कांग्रेस ने राज बब्बर को अपना प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में 9 माह बाकी है, इसलिए तब तक कोई नियुक्ति होगी, वह चुनाव की दृष्टि से मानी जायेगी। तो देखना पड़ेगा कि कांग्रेस ने राज बब्बर को अध्यक्ष नियुक्त कर कौन से समीकरण साधे हैं।

उत्तर प्रदेश में दाँव पर प्रशांत किशोर की साख

संदीप त्रिपाठी :

उत्तर प्रदेश का आगामी विधानसभा चुनाव किसके लिए वाटरलू साबित होगा?, यह सवाल बड़ा मौजू है। सामान्य तौर पर देखा जाये तो सबसे बड़ा दाँव मायावती की बहुजन समाज पार्टी और नरेंद्र मोदी-अमित शाह की भारतीय जनता पार्टी का है। समाजवादी पार्टी सरकार में होने के कारण बचाव की मुद्रा में है तो कांग्रेस अभी तक कहीं लड़ाई में नहीं आयी है। लेकिन इस विधानसभा में इन चारों दलों से बड़ा दाँव चुनाव रणनीतिकार और प्रबंधक के रूप में ख्यात प्रशांत किशोर का लगा है।

बसपा नेताओं के पार्टी छोड़ने के सिलसिले की सियासत

संदीप त्रिपाठी :

उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव से 9 महीने पूर्व से ही इस बार सत्ता के लिए सबसे मजबूत दावेदार मानी जाने वाली मायावती की बहुजन समाज पार्टी में महत्वपूर्ण नेताओं के पार्टी छोड़ने का सिलसिला शुरू हो गया है। सबसे पहले विधानसभा में विपक्ष के नेता और बसपा के कद्दावर नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने पार्टी छोड़ी। फिर राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व मंत्री आर.के. चौधरी ने पार्टी छोड़ी।

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