Tag: समय
अगर…

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
मेरी कहानियाँ आप अपने बच्चों को भी सुनाते हैं न?
मोतियों की तरह रिश्तों को संभालिए

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
मेरे एक परिचित के दोनों बच्चे गर्मी की छुट्टियों में स्कूल से कहीं घूमने गये हैं। बच्चे हफ्ते भर से बाहर हैं, पति-पत्नी अकेले-अकेले बैठे रहते हैं, ऐसे में उन्होंने तय किया कि कुछ लोगों को घर बुलाया जाए, पार्टी की जाए। बहुत ही बेहतरीन आइडिया था। रोज-रोज की भाग-दौड़ भरी जिन्दगी से थोड़ी राहत मिलेगी और जिनसे पता नहीं कब से नहीं मिले, उनसे मिलना हो जाएगा।
रिश्तों को समय दीजिए

संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
मेरे दफ्तर के एक साथी को कुछ महीने पहले पिता बनने का सौभाग्य मिला है।
समय

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
हजार जन्मों के चक्र से गुजरता हुआ मैं भी 'समय' के कालखंड पर मनुष्य के शरीर में मौजूद हूँ।
समय उसी का साथ देता है जो…

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
जिन दिनों हम अमेरिका में थे, हमें कई तरह के अनुभवों से गुजरना पड़ा - एक से बढ़ कर एक हास्यास्पद घटनाओं से, एक से एक बढ़ कर संवेदनशील घटनाओं से और एक से एक बढ़ कर शिक्षाप्रद घटनाओें से। अपने संपर्क में आने वाले बहुत से लोगों को मैं एक घटना सुनाता हूँ। यह मेरे जीवन का टर्निंग प्वाइंट रहा है।