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समस्या

प्रेमचंद :
मेरे दफ्तर में चार चपरासी हैं। उनमें एक का नाम गरीब है। वह बहुत ही सीधा, बड़ा आज्ञाकारी, अपने काम में चौकस रहने वाला, घुड़कियाँ खाकर चुप रह जानेवाला यथा नाम तथा गुण वाला मनुष्य है। मुझे इस दफ्तर में साल-भर होते हैं, मगर मैंने उसे एक दिन के लिए भी गैरहाजिर नहीं पाया।
खेती के जरिये ही साकार होगा अच्छे दिन का सपना

श्रीकांत प्रत्यूष, संपादक, प्रत्यूष नवबिहार
26 मई 2016 नरेन्द्र मोदी सरकार और देश के 50 करोड़ माध्यम वर्ग के लिए खास होगा। मोदी के लिए इसलिए क्योंकि इसी दिन एक साल पहले वो सत्ता पर काबिज हुए थे और माध्यम वर्ग के लिए भी खास इसलिए कि उसने मोदी से अपने लिए अच्छे दिन लाने की उम्मीद से उन्हें सत्ता सौंपी थी।
‘सोच’ बनी ‘समस्या’

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
मेरे आज के लिखे को पढ़ कर प्लीज नाक भौं मत सिकोड़ियेगा। इन दिनों इस विषय को सरकार जोर-शोर से उठा रही है। ये आदमी की नैसर्गिक जरूरत है।
काँग्रेस को चाहिए एक टच स्क्रीन!

कमर वहीद नकवी :
काँग्रेस बाट जोह रही है! एक नये कायाकल्प का इन्तजार है! एक फैसला रुका हुआ है! उस रुके हुए फैसले पर क्या फैसला होता है, इसका इन्तजार है!



प्रेमचंद :
श्रीकांत प्रत्यूष, संपादक, प्रत्यूष नवबिहार
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
कमर वहीद नकवी :





