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शराबबंदीः सवाल, नीयत और नैतिकता का
संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय :
तर्क नहीं है। किंतु वह बिक रही है और सरकारें हर दरवाजे पर शराब की पहुँच के लिए जतन कर रही हैं। शराब का बिकना और मिलना इतना आसान हो गया है कि वह पानी से ज्यादा सस्ती हो गयी है। पानी लाने के लिए यह समाज आज भी कई स्थानों पर मीलों का सफर कर रहा है किंतु शराब तो ‘घर पहुँच सेवा’ के रूप में ही स्थापित हो चुकी है।
हम और हमारा राष्ट्रवाद
संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय :
फकीरी यहाँ आदर पाती है और सत्ताएं लांछन पाती हैं।
देश में इन दिनों राष्ट्रवाद चर्चा और बहस के केंद्र में है। ऐसे में यह जरूरी है कि हम भारतीय राष्ट्रवाद पर एक नई दृष्टि से सोचें और जानें कि आखिर भारतीय भावबोध का राष्ट्रवाद क्या है? ‘राष्ट्र’ सामान्य तौर पर सिर्फ भौगोलिक नहीं बल्कि ‘भूगोल-संस्कृति-लोग’ के तीन तत्वों से बनने वाली इकाई है। इन तीन तत्वों से बने राष्ट्र में आखिर सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है? जाहिर तौर पर वह ‘लोग’ ही होगें। इसलिए लोगों की बेहतरी, भलाई, मानवता का स्पंदन ही किसी राष्ट्रवाद का सबसे प्रमुख तत्व होना चाहिए।
सकारात्मक सोच से उम्मीदों को बल दें
संजय सिन्हा, संपादक, आज तक :
कंगना रनावत मेरी दोस्त हैं। पिछले दिनों जब वो मुझसे मिली थीं, तब उन्होंने कहा था कि आप मेरी आने वाली फिल्म ‘कट्टी बट्टी’ देखिएगा। आप फिल्म देख कर रो पड़ेंगे। मैं जानता हूँ कि कंगना बहुत शानदार एक्ट्रेस हैं और उन्होंने अपनी ऐक्टिंग के संदर्भ में मुझसे ऐसा कहा था।
उलटे चाँद के देश में!
कमर वहीद नकवी , वरिष्ठ पत्रकार :
जिस देश में चाँद उलटा निकल सकता है, हम उस देश के वासी हैं! बात अफवाह की नहीं है, जो अभी आये भूकम्प के बाद फैली और तेजी से फैली, लेकिन उतनी ही तेजी से खारिज भी हो गयी। बात अफ़वाह के बहुत आगे की है! और बात मामूली नहीं, बहुत गहरी है।
रिश्तों को बचाने की जिम्मेदारी हमारी
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
बहुत साल पहले गाँव के मुकुंद चाचा की शादी में गया था। पूरा गाँव नाच रहा था। पूरा गाँव क्या, मैं भी नाच रहा था।
पूरा गाँव सज-धज कर बाराती बन कर उस गाँव से दूसरे गाँव गया था। दूसरे गाँव वालों ने बारातियों का स्वागत नमकीन भुजिया और नींबू के शर्बत से किया था।
लोग क्या कहेंगे
संजय कुमार सिंह, संस्थापक, अनुवाद कम्युनिकेशन :
समाज में लोग क्या कहेंगे - सबसे बड़ी समस्या है। कुछ भी करो मना करना हो तो सबसे साधारण पर सबसे लचर दलील यही है। इसलिए रेडियो सिटी 91.1 एफएम ने जब अक्षय और जीनत का मामला उठाया तो मुझे लगा अब हो गया लोग क्या कहेंगे - का इंतजाम।
मीडिया समाज में नागरिकता
रवीश कुमार, वरिष्ठ टेलीविजन एंकर :
मैं चाहता हूँ कि आप जहाँ रहते हैं, देखिये यहाँ कितनी गंदगी है, ट्रैफिक बेहाल है, सड़क के किनारे रेहड़ी पटरी वालों ने कब्जा कर लिया है, बिजली नहीं आती है, उसकी हालत टीवी पर क्यों नहीं दिखाते हैं।