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क्या शिक्षक हार रहे हैं?
संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय :
कई बार लगता है कि विचारधारा राष्ट्र से बड़ी हो गयी है। पार्टी, विचारधारा से बड़ी हो गयी है, और व्यक्ति पार्टी से बड़ा हो गया है। भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में रहते हुए, जैसी बेसुरी आवाजें शिक्षा परिसरों से आ रही हैं, वह बताती हैं कि राजनीति और राजनेता तो जीत गये हैं, किंतु शिक्षक और विद्यार्थी हार रहे हैं। समाज को बाँटना, खंड-खंड करना ही तो राजनीति का काम है, वह उसमें निरंतर सफल हो रही है। हमारे परिसर, विचारधाराओं की राजनीति के इस कदर बंधक बन चुके हैं, कि विद्यार्थी क्या, शिक्षक भी अपने विवेक को त्याग कर इसी कुचक्र में फँसते दिख रहे हैं।
हिन्दी शूड बी प्रोमोटेड !!
अजय अनुराग :
हिन्दी के प्रति हमारा दृष्टिकोण या तो सहानुभूति का रहा है या फिर संकोच का। सहानुभूति रखने के कारण हम उसके अस्तित्व को लेकर दुखी रहते हैं तो संकोच के कारण अंग्रेजी के समक्ष हम उसे दोयम दर्जे की भाषा समझते हैं।
झुंझनू में रानी सती का मन्दिर
विद्युत प्रकाश मौर्य, वरिष्ठ पत्रकार :
राजस्थान के झुंझनू में स्थित है रानी सती का मन्दिर। शह के बीचों बीच स्थित मन्दिर झुंझनू शहर का प्रमुख दर्शनीय स्थल है। बाहर से देखने में ये मन्दिर किसी राजमहल सा दिखायी देता है। पूरा मन्दिर संगमरमर से निर्मित है। इसकी बाहरी दीवारों पर शानदार रंगीन चित्रकारी की गयी है। मन्दिर में शनिवार और रविवार को खास तौर पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है।
अलविदा
संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :
मन था मुंबई ब्लास्ट पर लिखूँ। मन था कि याकूब को मिली फाँसी पर लिखूँ। कल देर रात दफ्तर में बैठा रहा, रात भर याकूब मेमन को बचाने की कोशिशों की खबरों का अपडेट करता रहा। सोचता रहा कि क्या लिखूँ।