Monday, October 27, 2025
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सब कुछ हार जाओ, पर भरोसा नहीं हारना चाहिए

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक : 

रावण हंस रहा था। खुशी के मारे उछल-उछल कर हंस रहा था।

"सीता, तुम्हें बहुत घमंड था न अपने राम पर। तुम इतराती थी न अपने देवर लक्ष्मण की शक्ति पर! जाओ खुद अपनी आँखों से देखो। देखो कैसे तुम्हारे पति राम और तुम्हारे देवर लक्ष्मण, दोनों हमारे पुत्र इंद्रजीत के हाथों मारे गये। हमारे पुत्र ने उन्हें सर्पबाणों से भेद दिया है।

सत्ता को याद नहीं जानकी नवमी

सुशांत झा, स्वतंत्र पत्रकार :

आज जानकी नवमी है यानी सीता का जन्मदिन। जातीय स्मृति में यह दिन भले ही पौराणिक काल से रहा हो, लेकिन (सत्ता) व्यवस्था उसे भूल जाना चाहती है। किसी बड़े नेता का कोई शुभकामना संदेश नहीं आया - शायद नरेंद्र मोदी का भी नहीं!

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