Monday, November 25, 2024
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जीव-हत्या, वेश्यावृत्ति और नशाखोरी को जस्टिफाइ करने वाले मनुष्य नहीं हैं!

अभिरंजन कुमार, पत्रकार :

बीजेपी और आरएसएस सिर्फ गोहत्या पर पाबंदी की वकालत करते हैं, जबकि मेरा स्टैंड यह रहा है कि समस्त पशु-पक्षियों पर अत्याचार रुकना चाहिए। गोहत्या पर पाबंदी हिन्दुत्व की रक्षा के लिए जरूरी है, लेकिन सभी पशु-पक्षियों की हत्या रोकना मानवता की रक्षा के लिए जरूरी है।

माफ कीजिए, इंसानियत का खून बहाने के लिए कैसे दूँ शुभकामनाएं?

अभिरंजन कुमार, पत्रकार :

मेरे एक प्रिय मुस्लिम भाई ने शिकायत की कि देश-दुनिया के मुद्दों पर तो आप ख़ूब लिखते हैं, लेकिन हमें बकरीद की शुभकामनाएं तक नहीं दीं। क्या आप मुसलमानों को अपना भाई-बहन नहीं मानते? मुझे लगा कि यह एक ऐसा सवाल है, जिसका जवाब मुझे सार्वजनिक रूप से देना चाहिए, क्योंकि इससे मुझे समाज, सियासत और धर्म में व्याप्त बुराइयों पर चोट करने में मदद मिलेगी।

इतने गुस्से में क्यों हैं लोग?

संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय :

यह कितना निर्मम समय है कि लोग इतने गुस्से से भरे हुए हैं। दिल्ली में डॉ. पंकज नारंग की जिस तरह पीट-पीट कर हत्या कर दी गयी, वह बात बताती है कि हम कैसा समाज बना रहे हैं। साधारण से वाद-विवाद का ऐसा रूप धारण कर लेना चिंता में डालता है।

बलात्कारी को कौन रोकेगा?

सुशांत झा, पत्रकार :

निर्भया मामले में बाल अपराधी की उम्र को लेकर बहस हो रही है, मेरे ख्याल से इसे कम करने की जरूरत है। कम से कम बलात्कार और हत्या जैसे मामलों में तो जरूर। 18 साल सरकार चुनने की उम्र तो हो सकती है, लेकिन बलात्कार या हत्या के प्रति अनभिज्ञ रहने की नहीं। इस सूचना विस्फोट के युग में 18 साल की उम्र में कोई व्यक्ति वैसा बालक भी नहीं रहता-जी हाँ वो गरीब का बच्चा भी नहीं जिसके बारे में कई लोग कह रहे हैं कि गरीबी और जहालत के हालात ने उसे बलात्कार करने पर मजबूर किया होगा। मुझे लगता है कि किसी गरीब या अनपढ़ का इससे बड़ा अपमान क्या होगा? 

आज गोडसे-भक्त कह रहे होंगे – थैंक्यू मीडिया..थैंक्यू कांग्रेस!

अभिरंजन कुमार, पत्रकार :

आज कुछ चैनलों ने बताया कि कुछ लोग महात्मा गाँधी की हत्या करने वाले नाथूराम गोडसे का बलिदान दिवस मना रहे हैं। इन्हीं चैनलों ने यह भी बताया कि कार्यक्रम में 50 लोग भी नहीं जुटे। 125 करोड़ लोगों के देश में जिस विचार के लिए 50 लोग भी नहीं जुटे, उसे सारे चैनलों ने दिन भर अपनी प्रमुख हेडलाइंस में जगह दी।

इस रास्ते हम कहाँ जाना चाहते हैं?

कमर वहीद नकवी, वरिष्ठ पत्रकार :

देश में यह हो क्या रहा है? नगालैंड के बाद अब आगरा से वैसी ही दिल दहला देनेवाली एक खबर आयी है। शहर के बीचोबीच एक बस्ती में इसी हफ्ते मुहल्लेवालों ने पीट-पीट कर एक नौजवान की हत्या कर दी। उस पर आरोप था कि नशे में उसने अश्लील हरकत की।

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