Friday, November 22, 2024
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मोदी की जीत कहकर केजरीवाल की हार को छोटी मत कीजिए!

अभिरंजन कुमार, पत्रकार :

मीडिया हर रोज पीएम मोदी का जादू टेस्ट करता है। एमसीडी चुनाव में बीजेपी की जीत को भी वह पीएम मोदी का ही जादू बता रहा है। लेकिन वह यह बताने में संकोच कर रहा है कि यह बीजेपी की जितनी बड़ी जीत नहीं है, उससे कहीं अधिक बड़ी केजरीवाल की हार है। शायद विज्ञापन बहादुर केजरीवाल के विज्ञापनों का मोह उसे यह सच बताने से रोक रहा है।

मोदी की जीत कहकर केजरीवाल की हार को छोटी मत कीजिए!

अभिरंजन कुमार, पत्रकार :

मीडिया हर रोज पीएम मोदी का जादू टेस्ट करता है। एमसीडी चुनाव में बीजेपी की जीत को भी वह पीएम मोदी का ही जादू बता रहा है। लेकिन वह यह बताने में संकोच कर रहा है कि यह बीजेपी की जितनी बड़ी जीत नहीं है, उससे कहीं अधिक बड़ी केजरीवाल की हार है। शायद विज्ञापन बहादुर केजरीवाल के विज्ञापनों का मोह उसे यह सच बताने से रोक रहा है।

अगर…

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक : 

मेरी कहानियाँ आप अपने बच्चों को भी सुनाते हैं न?

अहंकार जब-जब जीता, आदमी तब-तब हारा

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :

आज के पात्र

बेटा- रमन। 

माँ- तृप्ता रानी।

बहू- मोनिका। 

***

जीता वही सिकंदर, हार के बाद जीत

संजय सिन्हा, संपादक, आजतक :

मुझे नहीं पता कि ये मुहावरा किसने गढ़ा होगा कि जो जीता वही सिकंदर।

हार-हार-हार और हार..! आखिर कब थमेगा सिलसिला

पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :

वानखड़े 'भूतो न भविष्यति' बल्लेबाजी का बना गवाह। सिक्के की उछाल में मिली मात और भोथरी गेंदबाजी ने सिरीज का फाइनल का किस तरह से नशा उखाड़ दिया, यह बताने की जरूरत नहीं और यह भी नहीं कि हर किसी का समय होता है मिस्टर धोनी। बाजुओं में जो ताकत आपके थी वह जाती रही और कितने गरीब नजर आये आप बल्ले से, यह भी दर्शकों ने देखा। हार, हार और हार यही बदा है देश के भाग्य में शायद। जो सिलसिला आस्ट्रेलिया से शुरू हुआ, वह आज तक थमा नहीं। बांग्लादेश तक ने पानी पिला दिया था तो यह महाबली द. अफ्रीका है। 

माही तुम कब जाओगे

पद्मपति शर्मा, वरिष्ठ खेल पत्रकार :

हर कोई यही पूछ रहा है-माही तुम कब जाओगे? धोनी कहते है, 'अश्विन की चोट ने हराया.. मेरी गलती कि फिनिश नहीं कर सका.. गेंदबाजों ने रन लुटा दिए'..

कौशल

प्रेमचंद :

पंडित बालकराम शास्त्री की धर्मपत्नी माया को बहुत दिनों से एक हार की लालसा थी और वह सैकड़ों ही बार पंडितजी से उसके लिए आग्रह कर चुकी थी; किंतु पंडितजी हीला-हवाला करते रहते थे। यह तो साफ-साफ न कहते थे कि मेरे पास रुपये नहीं हैं- इससे उनके पराक्रम में बट्टा लगता था- तर्कनाओं की शरण लिया करते थे।

खो रही है चमकः कुछ करिए सरकार

संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय : 

नरेन्द्र मोदी के चाहने वाले भी अगर उनकी सरकार से निराशा जताने लगे हों तो यह उनके संभलने और विचार करने का समय है। कोई भी सरकार अपनी छवि और इकबाल से ही चलती है। चाहे जिस भी कारण से अगर आपके चाहने वालों में भी निराशा आ रही है तो आपको सावधान हो जाना चाहिए।

वो बात ना रही

आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :

अगर आपके मुँह से यह बात लगातार निकल रही हो तमाम चीजों को देखकर कि वो बात ना रही, तो समझिये कि आप बुजुर्ग हो रहे हैं या फिर आपके इर्द गिर्द लोगों के मुँह से यही निकल रहा हो कि वो बात नहीं रही, तो समझिये कि आपकी उठक बैठक बुजुर्गों में हो रही है।

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