Tuesday, June 3, 2025
टैग्स हिंदू

Tag: हिंदू

शमशेरा : हिंदू घृणा और वामपंथी एजेंडा से भरी फिल्म को दर्शकों ने नकार दिया

शमशेरा हिंदू घृणा से सनी ऐसी फिल्म है, जिसका साहित्य में परीक्षण हुआ, जैसा कि फर्स्ट पोस्ट आदि पर आयी समीक्षाओं से पता चलता है, और फिर बाद में परदे पर उतारा गया। परंतु जैसे साहित्य में फर्जी विमर्श को रद्दी में फेंक कर जनता ने नरेंद्र कोहली को सिरमौर चुना था, वैसे ही अब उसने आरआरआर एवं कश्मीर फाइल्स जैसी फिल्मों को चुन लिया है और शमशेरा को गड्ढे में फेंक दिया है!

रॉकेट्री फिल्म के बहाने फिर सामने आयी हिंदुओं के प्रति वामपंथी घृणा!

रॉकेट्री फिल्म की इसलिए आलोचना की जा रही है कि इस फिल्म ने नारायणन की भक्ति को बार-बार दिखाया है। वे जब भी कठिनाई में फँसते हैं तो वे प्रार्थना करते हैं, वे एक सच्चे हिंदू देशभक्त हैं! क्या हिंदू देशभक्त होना अपराध है? क्या वह व्यक्तित्व, जिन्होंने अपने जीवन में तमाम कठिनाइयों का सामना किया और उनसे संघर्ष करने की शक्ति उन्हें अपने धार्मिक एवं सांस्कृतिक मूल्यों से प्राप्त हुई, तो क्या वह बात इस फिल्म में दिखायी नहीं जानी चाहिए थी?

झूठ के सहारे हिंदुओं को असहिष्णु दिखाने की कोशिश

देश के अलग-अलग हिस्सों में इस तरह की घटनाओं की खबर आती है और उसमें जोड़ दिया जाता है बाद में कि इस कारण से घटना हुई। उस घटना का जय श्रीराम के नारे से कोई संबंध नहीं होता, लेकिन जोड़ा जाता है। कांग्रेस से लेकर तमाम विपक्षी दल इस तरह की राजनीति को बढ़ावा देना चाहते हैं, इस तरह के मुद्दे या विचार को खड़ा करना चाहते हैं। तो षड़यंत्र क्या है? षड़यंत्र दो तरह के हैं।

फेमिनिज्म के नाम पर हिंदू द्वेष

जैसे ही हमारे सामने फेमिनिज्म शब्द आता है, हम ठहर कर सोचने लगते हैं कि आखिर इस शब्द का अर्थ क्या है? और यह...

कोरोना की लड़ाई तो हम तभी हार गये थे जब…

एक हारी हुई लड़ाई के लिए कोई तो दोषी ठहराया ही जायेगा। तो वह दोषी खोज निकाला गया है। वह दोषी है हिंदू मध्यम वर्ग, जो सेक्युलिबरलों के अनुसार नफरती बन गया है।

कामन सिविल कोड से क्यों डरें?

कमर वहीद नकवी , वरिष्ठ पत्रकार 

हिन्दुओं ने तो ज्यादातर सामाजिक सुधारों को स्वीकारना शुरू कर दिया, लेकिन मुसलमानों ने पर्सनल लॉ को 'धर्म की रक्षा' का सवाल बना कर अपनी अलग पहचान और अस्तित्व का मुद्दा बना लिया और वह उसमें किसी भी बदलाव का विरोध करते रहे। 1985 का शाहबानो मामला इसकी चरम परिणति थी, जिसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गाँधी ने अगर कट्टरपंथी मुसलमानों के सामने घुटने न टेके होते तो आज शायद देश में आम मुसलमानों की स्थिति पहले से कहीं बेहतर होती!

आभासी सांप्रदायिकता के खतरे

संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय : 

जिस तरह का माहौल अचानक बना है, वह बताता है कि भारत अचानक अल्पसंख्यकों (खासकर मुसलमान) के लिए एक खतरनाक देश बन गया है और इसके चलते उनका यहाँ रहना मुश्किल है। उप्र सरकार के एक मंत्री यूएनओ जाने की बात कर रहे हैं तो कई साहित्यकार अपने साहित्य अकादमी सम्मान लौटाने पर आमादा हैं। जाहिर तौर पर यह एक ऐसा समय है, जिसमें आयी ऐसी प्रतिक्रियाएँ हैरत में डालती हैं।

धर्मांतरणः हंगामा क्यों है बरपा?

संजय द्विवेदी, अध्यक्ष, जनसंचार विभाग, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय :

धर्मांतरण के मुद्दे पर मचे बवाल ने यह साफ कर दिया है कि इस मामले पर शोर करने वालों की नीयत अच्छी नहीं है। किसी का धर्म बदलने का सवाल कैसे एक सार्वजनिक चर्चा का विषय बनाया जाता है और कैसे इसे मुद्दा बनाने वाले धर्मांतरण के खिलाफ कानून बनाने के विषय पर तैयार नहीं होते, इसे देखना रोचक है।

पाकिस्तान : हिंदू लड़की से शादी करना होगा मुश्किल

संजय तिवारी, संपादक, विस्फोट :

पाकिस्तान की नवाज शरीफ सरकार एक पाकिस्तान के हिंदुओं की सुरक्षा की दिशा में एक ऐसी पहल करने जा रही है जिसके बाद कम से कम हिंदू लड़कियों को सामाजिक सुरक्षा मिले न मिले लेकिन कुछ हद तक कानूनी सुरक्षा जरूर मिल सकेगी।

- Advertisment -

Most Read

तलवों में हो रहे दर्द से हैं परेशान? इस धातु से मालिश करने से मिलेगा आराम

अगर शरीर में कमजोरी हो या फिर ज्यादा शारीरिक मेहनत की हो, तो पैरों में तेज दर्द सामान्य बात है। ऐसे में तलवों में...

नारियल तेल में मिला कर लगायें दो चीजें, थम जायेगा बालों का गिरना

बालों के झड़ने की समस्या से अधिकांश लोग परेशान रहते हैं। कई लोगों के बाल कम उम्र में ही गिरने शुरू हो जाते हैं,...

कहीं आप तो गलत तरीके से नहीं खाते हैं भींगे बादाम?

बादाम का सेवन सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है। लगभग हर घर में बादाम का सेवन करने वाले मिल जायेंगे। यह मांसपेशियाँ (Muscles)...

इन गलतियों की वजह से बढ़ सकता है यूरिक एसिड (Uric Acid), रखें इन बातों का ध्यान

आजकल किसी भी आयु वर्ग के लोगों का यूरिक एसिड बढ़ सकता है। इसकी वजह से जोड़ों में दर्द होने लगता है। साथ ही...