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दिल्ली चुनाव और दिल की बात
अभिरंजन कुमार :
दिल्ली में कोई जीते, कोई हारे, मुझे व्यक्तिगत न उसकी कोई ख़ुशी होगी, न कोई ग़म होगा, क्योंकि मुझे मैदान में मौजूद सभी पार्टियां एक ही जैसी लग रही हैं। अगर मैं दिल्ली में वोटर होता, तो लोकसभा चुनाव की तरह, इस विधानसभा चुनाव में भी "नोटा" ही दबाता।
डरा कौन, भाजपा या आप!
संदीप त्रिपाठी :
120 सांसद, कैबिनेट मंत्रियों की फौज, 280 मंडल प्रभारी, सवा लाख पन्ना प्रभारी। दिल्ली विधानसभा चुनाव में मिशन 60+ को पूरा करने के क्रम में भाजपा और अमित शाह कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं। लेकिन विरोधी इस कुमुक पर सवाल उठा रहे हैं कि एक अकेले आप संयोजक अरविंद केजरीवाल से भाजपा, संघ और मोदी सेना इतनी डर गयी कि उसे जीत के लिए पूरा लाव-लश्कर उतारना पड़ा।
पंजाबी दुर्ग में सेंध की आप को चुनौती
संदीप त्रिपाठी :
दिल्ली विधानसभा चुनाव में पंजाबी खत्री मतदाता बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने जा रहे हैं। आमतौर पर यह मतदाता भाजपा के समर्थक वर्ग के रूप में माना जाता रहा है। भाजपा ने अपने शुरुआती दिनों से इसी वोटबैंक के बूते दिल्ली में अपना आधार मजबूत किया। लेकिन दिसंबर, 2013 में आप की लहर का असर इस वोट बैंक पर भी पड़ा।
दिल्ली में दलित वोटर होंगे निर्णायक
संदीप त्रिपाठी : दिल्ली विधानसभा चुनाव में इस बार दलित वोट निर्णायक भूमिका में होंगे। पूरी दिल्ली में एक वर्ग के रूप में सबसे ज्यादा संख्या दलितों की ही है। दिल्ली के कुल 1,30,85,251 मतदाताओं में 17 फीसदी दलित हैं। कुल 70 विधानसभा क्षेत्रों में से 12 तो सुरक्षित हैं ही, आठ अन्य क्षेत्रों में भी दलित प्रभावी संख्या में हैं।
वर्ष 2015 और देश की लकीरें!
क़मर वाहिद नक़वी, वरिष्ठ पत्रकार :
तो आपका समय शुरू होता है अब! और ‘हॉट सीट’ पर हैं, नरेन्द्र मोदी, राहुल गाँधी, नीतीश कुमार और अरविन्द केजरीवाल! 2015 कोई मामूली साल नहीं है, जो हर साल की तरह बस आयेगा और चला जायेगा! यह लकीरों के बनने-बनाने और मिटने-मिटाने का साल है! इस साल को तय करना है कि देश किन लकीरों पर चलेगा?
शीला दीक्षित की ना से भंवर में दिल्ली कांग्रेस
शिव ओम गुप्ता :
राजधानी दिल्ली में कांग्रेस का स्यापा खतम होने का नाम नहीं ले रहा है। दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और केरल की पूर्व राज्यपाल शीला दीक्षित ने झटका देते हुये कहा है कि वह आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार नहीं बनेंगी। यही नहीं, उन्होंने यहाँ तक कहा है कि उनके परिवार को कोई भी सदस्य नई दिल्ली सीट से विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेगा।
‘आप’ के रेडियो जिंगल पर दिल्ली पुलिस की रोक क्यों?
प्रियभांशु रंजन, पत्रकार :
खबर आयी है कि दिल्ली पुलिस ने आम आदमी पार्टी के एक रेडियो विज्ञापन पर पाबंदी लगा दी है। दिल्ली पुलिस की दलील है कि 'आप' के विज्ञापन से उसकी "छवि को नुकसान पहुँचा" है।
क्या हो पायेगा ‘आप’ का पुनर्जन्म?
क़मर वहीद नक़वी, वरिष्ठ पत्रकार :
तो क्या ‘आप’ का पुनर्जन्म हो सकता है? दिल्ली में चुनाव की रणभेरी बज चुकी है। सबसे बड़ा सवाल यही है, ‘आप’ का क्या होगा? केजरीवाल या मोदी? दिल्ली किसका वरण करेगी?
अबकी बार, क्या क्षेत्रीय दल होंगे साफ?
क़मर वहीद नक़वी, वरिष्ठ पत्रकार :
राजनीति से इतिहास बनता है! लेकिन जरूरी नहीं कि इतिहास से राजनीति बने! हालाँकि इतिहास अक्सर अपने आपको राजनीति में दोहराता है या दोहराये जाने की संभावनाएँ प्रस्तुत करता रहता है!
जनता के सारे भरम तोड़ डाले केजरीवाल ने
अभिरंजन कुमार :
केजरीवाल की बीमारी सिर्फ यह नहीं है कि वे खुद को छोड़ कर बाकी सबको चोर, बेईमान, भ्रष्ट मानते हैं, बल्कि उनकी बीमारी यह भी है कि वे खुद को छोड़ कर बाकी सबको मूर्ख, बेवकूफ और अनपढ़ भी मानते हैं।