Tag: Alok Puranik
टाइम नहीं, घड़ी की पूछो

आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :
मित्र सामने बैठे थे, लाखों की घड़ी पहने। मैं बिजी था, सिर्फ पैंतालीस मिनट तारीफ कर पाया महँगी घड़ी की।
झूठ-फ्रेंडली तकनीक की ओर

आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :
गूगल ने बताया कि जिस रास्ते पर आप रोज जाते हैं, उस रास्ते पर ट्रैफिक जाम है, रोज 28 मिनट लगते हैं, आज 50 मिनट लगने का अनुमान है।
यमराज की सेल्फी

आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :
सावित्री परेशान थी कि हाय सत्यवान की जान कैसे बचेगी। यमराज आयेंगे, तो सत्यवान के प्राण लिये बगैर तो ना मानेंगे। यमराज की ड्यूटी-पराणयता की बात तो जगत में सबको ज्ञात थी।
नृत्य-प्रधान विश्व करि राखा

आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :
भागवत कथा के एक आयोजन में बैठा हुआ था, कथावाचक ने म्यूजिकल ब्रेक दिया और तन-डोले, मन -डोले की धुन पर नागिन डाँस चल पड़ा। महिलाएं हाथ को ऊपर फन की मुद्रा में ले जा कर लहराने लगीं। भागवत कथा में नागिन-नृत्य चल निकला है इन दिनों। म्यूजिकल ब्रेक के बाद फिर कथा चल निकलती है।
आतंक के एटीएम

आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :
संयुक्त राष्ट्र संघ में पाक पीएम नवाज शरीफ ने बताया-जी हम तो आतंक के विरोधी हैं। हम तो आतंक के खिलाफ कार्रवाई करते हैं आगे भी करेंगे।
कोल्ड ड्रिंक को क्रेडिट

आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :
सिंधु सोने जैसी चाँदी को ले आयी हैं। चाँदी के भावों में तेजी का रुख है, इन दिनों, सोने की रफ्तार ढीली पड़ी हुई है। सिंधु-साक्षी की सफलताओं से बेटों का मार्केट रेट गिर गया है, नवजोत सिंह सिद्धू के भावों की तरह। पर, पर, पर बेटियों की सफलताओं को बेटों को कूटनेवाले प्लीज समझें -किसी बेटे गोपीचंद ने कोचिंग दी है सिंधु को। समन्वय से रिजल्ट आते हैं, अतिरेकी तर्कों से सिर्फ मारधाड़ बढ़ती है।
उम्मीदों का काँस्य

आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :
वैधानिक चेतावनी-यह व्यंग्य नहीं है
साक्षी मलिक के काँस्य पर हम झूमते-गाते भारतीय बहुत रोचक रुपक गढ़ते हैं। 127 करोड़ का भारत, एक काँस्य के लिए इस तरह से तरसा कि साक्षी मलिक के काँस्य को बहुत ही बड़ी उपलब्धि मानने लगा। दरअसल यह साक्षी मलिक की निजी उपलब्धि है, निजी उपलब्धि है कि इस सिस्टम में काम करके वह इतना हासिल कर सकी।
घड़ी में गर्लफ्रेंड

आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :
वक्त का वक्त भी बदल गया है। हाथ-घड़ी में पूरा स्पेस,पूरा हक अब वक्त का नहीं है, मोबाइल फोन घुस आया है घड़ी में, घड़ी मोबाइल फोन से कनेक्ट हो गयी है। सैमसंग, टाइटन समेत कईयों से ऐसी घड़ियाँ बना दी हैं। एकदम फास्ट स्पीड से घड़ी में मोबाइल के मैसेज देखो, मोबाइल खुलने में तो एकाध सेकंड लग जाता है। इतना लंबा इंतजार नयी पीढ़ी को शोभा ना देता।
मार्केटिंग के यक्ष-प्रश्न

आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :
मार्केटिंग-प्रधान युग में हर ज्ञान को आखिर को सेल और मुनाफे के तराजू पर ही तुलना है। कितना बेच लिया और कितना कमा लिया, हर तरह के ज्ञान के शीर्ष पर ये ही दो सवाल हैं। जिसकी सेल संभव नहीं, उसका खेल खत्म मान लिया जाता है। जैसा कि हमारे वक्त के बड़े कामेडियन- स्कालर कपिल शर्मा के कहे का आशय है-बिकता है सब कुछ, बेचनेवाला चाहिए।
तुम घटिया, तुम्हारी साड़ी घटिया

आलोक पुराणिक, व्यंग्यकार :
निवेदन-यह व्यंग्य मूलत चालीस के उस पार की आदरणीयाओं के लिए है।
ऐसी कल्पना उभरती है कि जब परमात्मा ने पूरी सृष्टि बना ली होगी, तमाम रंग बना लिये होंगे, तो तब मिसेज परमात्मा को बुलाकर वे रंग दिखाये होंगे। परमात्मा ने मिसेज परमात्मा से कहा होगा बताओ इन रंगों का क्या करें। मिसेज परमात्मा ने निश्चित तौर पर कहा होगा-इतने सारे रंगों की साड़ियाँ होनी चाहिए। सिर्फ इतने ही रंगों की क्यों, इन रंगों को मिक्स कर दिया जाये, फिर जितने किस्म के शेड बनें, उन सबकी साड़ियाँ होनी चाहिए।